आपबीती: 28 फरवरी 2025।
दादर से बदलापुर जाने वाली ट्रेन लिया। मेरा टिकट 1st class का था पर यह ट्रेन miss ना हो इसलिए अपने सामने की बोगी यानी 2nd Class मे ही चढ़ गया।
मेरी सीट के बगल मे बैठा व्यक्ति अगले स्टेशन पर पानी की बोतल खरीदने का असफल प्रयास किया और फिर सीट पर बैठ गया। बोलने लगा 'अगले स्टेशन पर कोशिश करते हैं।'
मेरे बैग मे पानी की 2 बोतल थी। मैने 1 उसे offer किया तो यह बोलते हुए ले लिया कि कल से शायद रोजा ही शुरू हो जाए। मैं हां मे हां मिलाया।
लेकिन यह कहानी का अंत नही है।
7 मार्च 2025 को मेरी बीवी ने मेरे बैग मे रखे पानी की उस 'खास' बोतल के बारे सवाल की जिसे मैने ट्रेन मे पडो़सी को दे दिया था।
तो मैने उसे वह वाकिया सुनाया। इसके बाद वह बताई कि वह जमजम का पानी था जिस बात से मै भी अनजान था।
अल्लाह की शान! उस व्यक्ति को जमजम पिलाना था। अल्लाह ने मुझे उसके पास भेजा 1st class से 2nd class मे। ना मुझे मालुम कि उसे जमजम दे रहा हूं और न उसे मालूम कि वो जमजम पी रहा है। सब कुछ जिसे मालुम था, है और रहेगा तो वो सिर्फ और सिर्फ अल्लाह है।