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Tuesday, May 27, 2014

इस्लाम के खिलाफ दुष्प्रचार और हक़ीक़त (Reality and Misconception about Islam)

            इस्लाम के खिलाफ दुष्प्रचार नया नही है. यह तभी से है जब से इसका उदय हुआ है. इस्लाम और अल्लाह (ईश्वर/ भगवान / गॉड ...) के आखिरी पैगंबर हजरत मोहम्मद (सल्ललल्लाहो अलैहि वसल्लम) का विरोध और इनके खिलाफ दुष्प्रचार उसी वक़्त से शुरु हो गया था जब उनके एक भी फॉलोवर नही थे. लेकिन अल्‍लाह की चाहत और इस्लाम के सच की वजह से यह पूरी दुनिया मे फैल गया. 

            लेकिन यह दुष्प्रचार आज भी बंद नही हुआ है और रोज के रोज यह दिखाई या सुनाई दे जाता है. सबसे बड़ा दुष्प्रचार अमेरिका पर तथाकथित अलक़ायदा के हमले के बाद हुआ. इस सबसे बड़े दुष्प्रचार का असर यह हुआ कि लोगों को इस्लाम के बारे मे जानने की उत्सुकता हुई और क़ुरान की डिमांड अचानक बढ गयी. क़ुरान के अध्ययन ने लोगों के दिल खोल दिये और भारी संख्या मे इस्लाम क़ुबूल किये.

           आज इस्लाम के खिलाफ दुष्प्रचार के लिये सबसे ज्यादा उपयोग इंटरनेट और मीडिया का हो रहा है. इस दुष्प्रचार के बावजूद अमेरिका, यूरॉप, एशिया सहित पूरी दुनिया मे लोग इस्लाम को अपना रहे हैं तो इसकी ठोस वजह इस्लाम का सच है जो दुष्प्रचार के बावजूद भी प्रभावित नही हो पा रहा. 
दुष्प्रचार की हक़ीक़त जानने के लिये दिये गये लिंक पर विज़िट किया जा सकता है:
                                इस्लाम के खिलाफ कोई भी दुष्प्रचार अगर आपके दिमाग पर असर कर रहा हो तो निम्नलिखित उपायों से इससे बचा जा सकता है:

1. दुष्प्रचार के बिंदु पर किसी नजदीकी आलिम, मुफ़्ती, मस्जिद के इमाम या जानकार और परहेजगार मुस्लिम से बात करें.

2. क़ुरान और हदीस का अध्ययन करें.

3. अफवाह फैलाने वालों से दूरी बनाएं.

4. जटिल मसलों पर राय जानने के लिये प्रसिद्ध इस्लामिक संस्थानों से संपर्क करें. जैसे यू पी मे दारुल उलूम देवबन्द, बिहार मे इमारत-ए-शरिया, फुलवरीशरीफ़ पटना, मुम्बई मे आइ. आर. एफ. आदि.

5. डा. ज़ाकिर नायक और उनका पीस टी वी भी दुष्प्रचार को रोकने मे अहम भूमिका निभा रहे हैं.

6. यह बात जान लें कि जिस तरह हिन्दू नाम वाले कुछ लोगों के बुरे कर्म से हिन्दू धर्म बुरा नही होता उसी ढंग से मुस्लिम नाम वाले कुछ लोगों के बुरे कर्म से इस्लाम बुरा नही होता.

7. हर इंसान अपने बुरे कर्मों के लिये स्वयं जिम्मेवार है और उसकी सजा उसे जरूर मिलेगी, अगर दुनिया मे नही तो आखिरत मे.

8. धर्म की गलत शिक्षा धारण किये लोगों को सही और सच्चे आलिम तक पहुंचाने की कोशिश करें.

9. कोई भी धर्म किसी बुराई की शिक्षा नही देता और न ही अवैध हिंसा की.

10. किसी भी बेगुनाह को किसी भी ढंग से नुकसान पहुंचाना इस्लाम की नीतियों के खिलाफ है.

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Wednesday, May 21, 2014

शरद यादव से सतर्क रहें नीतीश कुमार

                      बिहार के निवर्तमान मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने सिद्धान्तों की खातिर जो क़ुर्बानियाँ की है वैसे उदाहरण राजनीति मे कम ही मिलते हैं. नैतिकता के आधार पर अपने पद से इस्तीफा देना किसी को सीखना है तो नीतीश कुमार से सीखे. नीतीश कुमार को बिहार की जनता ने 5 साल के लिये जनादेश दिया था और इस्तीफे की जरूरत भी नही थी क्योंकि उनकी पार्टी की हार तो लोकसभा चुनाव मे हुई थी, फिर भी इस्तीफा देना और मुख्यमंत्री एक दलित नेता को बना देना, उनकी महानता की कहानी कहती है. लोकसभा चुनाव मे नीति के आधार पर भाजपा से गठबंधन तोड़ना, हार को स्वीकार करना और नतीजों के बाद भी साम्प्रदायिक शक्तियों से दूरी बनाये रखना उनकी महानता को और उपर ले जाती है. 

                     लेकिन नीतीश कुमार की क़ुर्बानियों पर उनकी पार्टी के ही दूसरे वरिष्ठ नेता शरद यादव पानी न फेर दें, इसके लिये नीतीश कुमार को सतर्क रहने की जरूरत है.यह सब जानते हैं कि शरद यादव भाजपा से गठबंधन तोड़ने के खिलाफ थे और दबे स्वर मे विरोध कर रहे थे लेकिन नीतीश के आगे उनकी नही चली. गठबंधन टूटने की वजह से शरद यादव को एन डी ए के संयोजक की कुर्सी गँवानी पड़ी, फिर लोकसभा मे भी हार हुई जिसकी वजह से वो अंदर ही अंदर नीतीश से काफी नाराज़ है और नीतीश और उनकी पार्टी को कमजोर करने मे लगे हैं. नीतीश कुमार से इस्तीफा दिलवाकर, फिर दूसरे को मुख्यमंत्री बनवाकर शरद यादव ने अपनी चाल चल दी है. जीतन राम माँझी के कार्यकाल मे नीतीश की हैसियत कम जायेगी और साथ ही पार्टी भी कमजोर होगी. अगर पार्टी आगे चल कर टूटी तो शरद यादव भाजपा के साथ जाने वाले गुट का नेतृत्व करेंगे और बदले मे भाजपा से अच्छा पोस्ट पायेंगे.

                   इसलिये नीतीश कुमार को शरद यादव के हर कदम पर नज़र गड़ाये रखना चाहिये और पार्टी पर अपनी पकड बनाये रखना चाहिये ताकि बिहारवासियों को एक अच्छे नेता की सेवा लगातार मिलता रहे. साथ ही साथ अगले विधानसभा चुनाव की तैयारी हेतु राजद से सम्बंध अच्छा करना चाहिये ताकि आगे चलकर गठबंधन की संभावना बन सके. उन्हे यह भी ख्याल रखना चाहिये कि जिन लोगों ने उन्हे लोकसभा चुनाव मे धोखा दिया है वो लोग विधानसभा चुनाव मे भी देंगे.

Tuesday, May 20, 2014

लोकसभा चुनाव 2014 : कुछ ध्यान देने वाली बातें

1. जब पिछले दो लोकसभा चुनाव के एग्ज़िट पोल झूठ साबित हुये थे तो इस बार के एग्ज़िट पोल से भाजपा वाले इतना इतरा क्यों रहे हैं?


2. जब भाजपा को जीत का भरोसा ही है फिर मोदी को कसाई कहने वाली जयललिता से समर्थन की विनती क्यों हो रही है?


3. किसी से भी समर्थन लेने से परहेज नही है भाजपा को पर देने वाले को तो है.


4. नमो सी एम पोस्ट से इस्तीफा आज तक क्यों नही दिये जब पी एम बनने का पूरा भरोसा है. अगर पी एम नही बनते तो विपक्ष मे रहते. पी एम या सी एम का लोभ क्यों?

5. केन्द्र की राजनीति करने वाले अडवाणी, जेटली, सुषमा की हक़्मारी क्यों?


6. मन मोहन सिंह बहुत सयाना हैं, जिस पोस्ट के लिये मोदी मारे फिरे फिर रहे हैं, वो उस पर 10 साल से काबिज हैं.

7. कांग्रेस अगर भ्रष्ट पार्टी होती तो कुछ मीडिया कांग्रेस का गुणगान करती भाजपा की जगह.

8. भाजपा से ज्यादा खर्च कांग्रेस करती चुनाव प्रचार पर.

9. भाजपा ने इस चुनाव को व्यक्ति केन्द्रित बना दिया.

10. नमो को पी एम उम्मीदवार बनाने की वजह से महत्वपूर्ण मुद्दे गौण हो गये.

11. बयानबाज़ी ज्यादा हुई और काम की बातें कम हुई इस चुनाव मे.

हमारी प्रार्थना स्वीकार कैसे हो? (How our Supplications will be Accepted?)

                            हर आस्तिक इंसान अपने धर्म की रीति रिवाज़ों के मुताबिक सर्व शक्तिमान ईश्वर से प्रार्थना करता है. कुछ की प्रार्थनाएं स्वीकार होती है जबकि कुछ की नही. जिनकी प्रार्थनाएं स्वीकार नही होती, उनको अपने कार्यों पर संजीदगी से विचार विमर्श की जरूरत होती है कि क्या उनके अधिकांश कार्य ईश्वर की इच्छाओं के विरुद्ध हैं या कोई और वजह है. जिनकी प्रार्थना स्वीकार कर ली जाती है उन्हे भी एक बार इस ओर जरूर ध्यान देना चाहिये कि उनकी की गई प्रार्थना कही ईश्वर के नियमों के विरुद्ध तो नही.


                                  हर इंसान निम्नलिखित बातों का ख्याल करे ताकि उसकी ज़ायज़ प्रार्थना स्वीकार हो सके:


1. सिर्फ और सिर्फ एक ईश्वर से होने का यकीन को पुख्ता करे. ईश्वर के अलावे किसी से भी कुछ भी न होने का यकीन को मजबूती दे. ईश्वर का मार्ग ही सफलता का मार्ग है और ईश्वर के अलावे जो भी मार्ग हैं, वो सारे असफलता के मार्ग हैं.

2. ईश्वर के सही मार्ग की खोज करें ताकि ईश्वर के मार्ग पर चला जा सके. इसके लिये धार्मिक पुस्तकों और धार्मिक गुरुओं की मदद लें. क़ुरान, बाइबल, इंजील, वेद आदि का अध्ययन अपनी मातृभाषा मे करें.

3. कोई भी ऐसी प्रार्थना न मांगे जो ईश्वर की नज़र मे अवैध या बुराई की श्रेणी मे आता है जैसे चोरी, डकैती या भ्रष्टाचार आदि के कामों मे सफलता के लिये प्रार्थना करना.

4. अगर किसी बुरे काम मे सफलता मिले तो समझ लें कि ईश्वर आप से नाराज़ है और इसकी बड़ी सजा कभी भी मिल सकती है.

5. ऐसे बुरे काम को जल्द से जल्द त्याग दें और प्रार्थना मे पश्चाताप करें.

6. ईश्वर से खुद के लिये तो मांगे ही, पूरी दुनिया के इंसानों के लिये भी प्रार्थना करें.

7. हर प्रार्थना मे पूरी दुनिया मे चैन, सुकून, शान्ति और समृद्धि की प्रार्थना भी करें.

8. दुनिया के हर देश मे न्याय का शासन हो, इसकी प्रार्थना भी करें.

9. दुनिया के किसी भी इंसान पर ज़ुल्म न हो, इसकी प्रार्थना भी करें.

10. अपने अंदर झांक कर अपनी बुराइयां तुरंत त्याग दें और प्रार्थना मे पश्चाताप करें और आगे बुराई न करने की कसम खाएं.

11. कोई भी तकलीफ या परेशानी पेश आये तो ईश्वर का ध्यान करें और ईश्वर से मदद माँगें.

        अगर हम सिर्फ और सिर्फ नेक कार्य करेंगे, हर बुराई से दूर रहेंगे, सच और हक बात की दावत दूसरों तक पहुंचाएंगे, दूसरों को बुराई से रुकने की दावत देंगे तो हमारी हर ज़ायज़ प्रार्थना जरूर स्वीकार की जायेगी अगर ईश्वर ने चाहा तो.

बिहार कांग्रेस के अध्यक्ष डा. अशोक चौधरी को पितृशोक


  भारतीय राष्‍ट्रीय कांग्रेस के युवा नेता और बिहार इकाई के अध्यक्ष डा. अशोक चौधरी ज़मीन से जुड़े नेता हैं. इस लोकसभा चुनाव मे कांग्रेस के लिये जी तोड मेहनत कर रहे हैं. बिहार मे कांग्रेस की संभावित अच्छी स्थिति का क्रेडिट इन्हे जरूर मिलेगा. मैने कुछ दिन पहले इनसे ईमेल से संपर्क किया और पाठकों के लिये कुछ प्रश्नों के उत्तर मांगे. लेकिन चुनावी व्यवस्तता की वजह से उनका जवाब नही आ सका. फिर कुछ दिन पहले इन्हे पितृशोक हो गया. उनके पिता श्री महावीर चौधरी का देहान्त हो गया. श्रद्धांजलि देने उनके घर सोनिया गाँधी भी पहुंची. मैं भी उनके इस दुख मे शामिल हूँ. ईश्वर उन्हे और शक्ति और साहस दे.      
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            मेरे कुछ प्रश्न चूंकि चुनाव बाद अप्रासंगिक हो जायेंगे, इसलिये मैं अपने प्रश्नों को पाठकों के सामने रखना चाहूंगा.
मेरे पूछे गये प्रश्न:
१. सर्वप्रथम ब्लॉग के पाठकगण को अपने बचपन और अपनी शिक्षा के बारे मे बताए.
२. कृपया अब तक के अपने राजनीतिक सफ़र पर प्रकाश डालें.
३. राजनीति के अलावे क्या करते हैं और आपके शौक क्या क्या हैं.
४. कॉंग्रेस ने बिहार कॉंग्रेस का अध्यक्ष बनाकर आपके उपर बड़ी ज़िम्मेदारी दी. क्या इसकी वजह आपकी राहुल गाँधी से नज़दीकी है या और कुछ? इस ज़िम्मेदारी को आप कैसे निभा पा रहे हैं? कोई मुश्किल तो नही आ पा रही?
५. वर्तमान लोकसभा चुनाव मे राजद से सफल गठबंधन मे आपका क्या रोल रहा?
६. क्या आप यह स्वीकार करते हैं कि राजद की गठबंधन की वजह से कॉंग्रेस बिहार मे अच्छा नतीजा देगी?
७. क्या चुनाव बाद जद-यू से भी कॉंग्रेस समर्थन की उम्मीद करती है?
८. जब सपा और बसपा दोनो एक साथ कॉंग्रेस का समर्थन केंद्र मे कर सकती है तो राजद और जद-यू दोनो को साथ जोड़ने मे क्या परेशानी है?
९. अगर इस बार फिर कॉंग्रेस की सरकार केंद्र मे बनी तो बिहार से मंत्री पद पाने वाले कौन कौन हो सकते हैं?    

Sunday, May 4, 2014

हर इंसान इन अच्छाइयों पर अमल करे


      अगर हर इंसान निम्नलिखित अच्छाइयों पर अमल करे तो जरूर फायदा होगा.

1. दिन की शुरुआत किसी गरीब या जरूरतमंद को दान कर के करें.

2. अपने किसी पड़ोसी या रिश्तेदार की तबियत खराब की खबर सुनें तो उनसे मिलने जरूर जाएं. अगर उन्हे आपकी सहायता की जरूरत हो तो जरूर मदद करें.

3. अगर कोई बुराई होते देखें तो उसको रोक दें अगर रोकने का सामर्थ्य हो.

4. अगर सामर्थ्य नही है तो बातों से रोकें, जैसे उसे बातों से डराएं या पुलिस को फोन करें या चिल्लाकर भीड़ जुटा दें.

5. अगर इतना भी हौसला नही है तो कम से कम बुराई को दिल से बुरा मानें और यह इंसान की इंसानियत का सबसे निचला दर्जा है.

6. अगर आपने ज़ुर्म होते देखा है तो गवाही देने के लिये तैयार रहें भले ही कुछ परेशानी का सामना करना पड़े.

7. पड़ोसियों से मधुर सम्बंध बनाये रखें. पड़ोसियों के जरूरत मे काम आयें.

8. बिना वजह किसी भी इंसान का दिल न दुखायें चाहे वह आपकी बातों से ही क्यों न हो.

9. माँ बाप की खिदमत पूरी निष्ठा से करें.

10. पति पत्नी का और पत्नी पति का हक अदा करे.

11. अपने बच्चों को संस्कारी और शिक्षित बनाएं.

                                           इस बात का सभी मित्र ध्यान रखें कि कुछ नेक अमल के फायदे दुनिया मे ही दिखाई देते हैं जबकि कुछ के मरने के बाद. इसलिये हर हाल मे हम खुद नेक अमल करें और बुराई से दूर रहें और अपने साथियों को भी नेक अमल की दावत दें और बुराई से डराएं.

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