लोग गालियां या तो गुस्से मे देते हैं या उनका यह तकिया कलाम होता है। अगर हमें गुस्सा कंट्रोल करना आ गया तो 'गुस्से वाली गाली' से बच सकते हैं।
अल्लाह के पैगम्बर मोहम्मद स. ने गुस्सा आने पर तीन बार 'अऊजबिल्लाहि मिनश्शैतानिर्रजीम' पढ़ने की नसीहत की है ताकि गुस्सा जाता रहे। अगर गुस्सा की हालत मे खड़े हों तो बैठ जाना चाहिए। अगर बैठने से भी गुस्सा न जाए तो लेट जाना चाहिए।
जिनको नाॅरमल बातचीत मे भी गाली बोलने की आदत है उन्हें यह जान लेना चाहिए कि यह गुनाह वाला काम है। गाली बोलने से कभी फायदा नहीं होता बल्कि अपना नुकसान ही होता है क्योंकि हमारे गुनाह यानी पाप बढ़ते जाते हैं।
इसलिए हमें चाहिए कि हम हर हाल मे गाली बोलने या लिखने से बचें क्योंकि यह एक बुराई है और बुराई से बचना नेकी है।
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