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Saturday, December 27, 2014

RJD और JDU में गठबंधन हो तो बेहतर (Alliance is better than merger of RJD and JDU)

पिछले कुछ महीनों से बिहार की राजनीति मे राष्‍ट्रीय जनता दल और जनता दल युनाइटेड पार्टी के विलय की चर्चा जोरों पर है। यह संभावित विलय कब होगा, होगा भी या नहीं होगा, कुछ कहा नहीं जा सकता क्योंकि दोनो पार्टियों के नेता इस मुद्दे पर बात करने से कतराते दिख रहे हैं। पूर्व मुख्यमंत्री नीतीश कुमार तो एक बार इससे साफ इनकार कर चुके हैं। लेकिन इन दोनों पार्टियों के अन्य नेताओं के मार्फत मीडिया मे जो थोड़ी बहुत खबर आ रही है, उससे लगता है कि अंदर ही अंदर इसकी तैयारी चल रही है। जब तैयारी मुकम्मल हो जाएगी तो पूरी खबर भी बाहर आ जाएगी।
jdu party-symbol.gif 2000px-rjd_flag_svg.png
 
अगर यह विलय हुआ भी तो इसके टिकाऊ होने की संभावना बहुत कम है। इसका मुख्य कारण यह है कि दोनों पार्टियों के सुप्रीमो बिहार के मुख्यमंत्री के रूप मे कई वर्षों तक सत्ता सुख भोग चुके हैं और दोनों की महत्वाकांक्षाएं ज्यादा दिन साथ रहने पर टकराएंगी। मुख्य टकराव चुनाव के वक्त टिकट वितरण में होगा। आरजेडी के सुप्रीमो लालू यादव की कोशिश होगी कि उनके करीबी को ज्यादा टिकट मिले। फिर यही कोशिश जेडीयू के सुप्रिमो नीतीश कुमार की भी होगी। पार्टी पर पकड़ और वर्चस्व बनाए रखने के लिए भी दोनों नेताओं मे होड़ होगी और साथ ही सत्ता मिलने पर सत्ता मे हिस्सेदारी के लिए भी दोनों नेता लड़ सकते हैं।
 
दोनों पार्टियों के हित में यही है कि दोनों अलग-अलग रहकर ईमानदरीपूर्वक गठबंधन कर चुनाव लड़े। सीटों का आपसी सहमति से न्यायपूर्वक बंटवारा करें और चुनाव में एक-दूसरे को ईमानदारी से सहयोग करें। विलय की अपेक्षा दोनों पार्टियों का गठबंधन ज्यादा टिकाऊ होने की उम्मीद है क्योंकि इसमे आपसी टकराव की संभावना बहुत कम रहेगी और पार्टी के अंदर रहकर पार्टी को कमजोर करने वाले तत्व भी कमजोर रहेंगे। गठबंधन की स्थिति मे दोनों नेताओं का अपनी पार्टी पर पूर्ण नियंत्रण भी कायम रहेगा जिससे पार्टी को मजबूत रखने मे मदद मिलेगी।

Friday, December 19, 2014

रामजादे या हलालजादे (Ramjade or Halaljade?)

      यह तो सर्वविदित है कि हराम का विपरीतार्थक शब्द हलाल है. इसी ढंग से हरामजादे का विपरीतार्थक शब्द हलालजादे होगा. हरामजादे का विपरीतार्थक शब्द के लिये रामजादे शब्द का प्रयोग न बिल्कुल अनुचित है बल्कि हास्यास्पद भी है. हलाल और हराम शब्द हिन्दी के वैध और अवैध शब्द के लिये प्रयोग होते हैं जबकि राम हिन्दुओं के देवता हैं. इसलिये राम शब्द का प्रयोग सावधानी और सम्मान के साथ लिया जाना चाहिये. हलाल और हराम के बीच मे राम शब्द को घसीटना उनकी तौहीन है.


हरामजादे का विपरीतार्थक शब्द के लिये रामजादे शब्द का प्रयोग करनेवाली साध्वी की खिंचाई तो हुई लेकिन खिंचाई का कारण सिर्फ और सिर्फ हरामजादे शब्द का प्रयोग था. बेहतर तो यह होता कि उनकी ज्यादा खिंचाई पवित्र शब्द राम को विवाद मे घसीटने को लेकर होता.


हिन्दी मे राम-रहीम शब्द के प्रयोग का प्रचलन आया है. अर्थ मे रहीम के माने 'दयालु' और ईश्वर होता है. लेकिन प्रयोग मे राम हिन्दू के लिये तो रहीम मुस्लिम के लिये होता आया है. लेकिन साध्वी ने रामजादे के विपरीत मे रहीमजादे शब्द का प्रयोग नही किया तो उसकी दो वजहें हो सकती हैं. पहला तो यह कि रहीमजादे शब्द किसी के लिये गाली नही है. दूसरी वजह यह है कि साध्वी का टारगेट मुसलमान के साथ ही भाजपा और संघ विचारधारा के विरोधी हिन्दू भी थे चाहे वह कॉंग्रेसी हो, कम्यूनिस्ट हो, सपा वाले हों राजद वाले हों या 'आप' वाले.



अधिकांश भारतीय मुसलमानों के पूर्वज हिन्दू थे, यह कहना तो जायज़ है लेकिन भारतीय मुसलमानों सहित सभी भारतीय रामजादे या राम की सन्तान हैं, कहना सर्वथा अनुचित है. भारत मे राम के वक़्त ही राम के परिवार मे ही लक्षमन, भरत, शत्रुघ्न भी थे. राम की पूरी सेना थी. राम क्षत्रिय परिवार के थे. उस वक्त ब्राह्मण, वैश्य और शूद्र परिवार भी थे. सबकी संतानें रही होगीं. उस वक्त अंतरजातीय विवाह का प्रचलन भी नही था. आज भी भारत मे ऐसे हिन्दू परिवार मौज्द हैं जो अपना पूर्वज भैंसासुर, वाल्मीकि, कृष्ण और रविदास को बताते हैं और उनकी जयंती भी मनाते हैं. इसलिये सभी भारतीयों को रामजादे या राम की सन्तान कहकर पुकारना भी गलत है.





खैर, साध्वी अपने टारगेट को गाली देने मे कामयाब होने के साथ सजा से बचने मे भी कामयाब हुई है. अगर कोई नाकामयाब हुई है तो वह है भारत की जनता. रामजादे, हरामजादे, धर्मांतरण के मुद्दे ने जनता के असली मुद्दे काला धन, भ्रष्टाचार, बेरोजगारी आदि को गौण कर दिया है जिसके लिये जनता ने सत्ता परिवर्तन किया था.



Thursday, December 18, 2014

Masjid E Quba, Madinah, Saudi Arabia (1st Mosque in Madina)


Here is video of Masjid E Quba, Madinah, Saudi Arabia (1st Mosque in Madina), you can watch here.

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इंसान हो तुम या हो शैतान (Are you human being or Satan)

खुद को तुम क्यों विद्यार्थी कहते,

जब विद्यार्थी के खून की होली खेलते.
इंसान हो तुम या हो शैतान,
दो जवाब, ऐ तालिबान.
 
ज़ाहिल, गंवार हैं तुमसे अच्छे,
बच्चों को वे भी भगवान हैं कहते.
इंसान हो तुम या हो शैतान,
दो जवाब, ऐ तालिबान.
 
बेगुनाह का कत्ल तुम करते,
फिर क्यों खुद को मुस्लिम कहते.
इंसान हो तुम या हो शैतान,
दो जवाब, ऐ तालिबान.
 
बेशर्म, दरिंदे, ज़ालिम, हत्यारा,
तेरा अब कोई न सहारा.
इंसान हो तुम या हो शैतान,
दो जवाब, ऐ तालिबान.
 
शैतान भी तुमसे शरमाएगा,
जब तुम दोज़ख मे जायेगा.
इंसान हो तुम या हो शैतान,
दो जवाब, ऐ तालिबान.

- मोहम्मद खुर्शीद आलम 
 
 

Wednesday, December 17, 2014

दलितों के नायक जीतन राम मांझी (Jitan Ram Manjhi is hero for dalits)

लक बाइ चान्स यानी किस्मत से बने बिहार के मुख्यमंत्री श्री जीतन राम माँझी स्वयम् को दलितों के नायक के रूप में पेश करने मे कामयाब हुये हैं. मुख्यमंत्री की गद्दी सम्हालते वक्त हर कोई को यही लगा था कि ये पूर्व मुख्यमंत्री श्री नीतीश कुमार के रिमोट के रूप मे काम करेंगे. लेकिन लोगों की गलत धारणा को खत्म करने में इन्हें ज्यादा वक्त नही लगा. कुछ ही हफ्तों मे विपक्षी पार्टी भारतीय जनता पार्टी के लोगों ने भी मान लिया कि श्री माँझी 'हटकर' हैं और सारे फैसले खुद ले रहे हैं.

 

प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी ने चाय बेचा है या चायपत्ती (जो कि उद्योगपति टाटा ने भी बेचा है), संदिग्ध हो सकता है पर श्री जीतन राम माँझी द्वारा चूहा पकडना और चूहे के मांस के प्रयोग की बात असंदिग्ध है. बिहार मे महादलित में शुमार मुसहर जाति से आने वाले श्री जीतन राम माँझी द्वारा हाल फिलहाल मे दलितों और पिछड़ों के पक्ष मे दिया गया बयान और कार्य उन्हें दलितों के नायक के तौर पर पेश कर दिया है. यही कारण है कि अब भारतीय जनता पार्टी उन पर डाइरेक्ट हमले करने से बच रही है ताकि दलित वोट उनसे छिटक न जाये. भारतीय जनता पार्टी मुख्यमंत्री श्री जीतन राम माँझी के बजाये बिहार के पूर्व मुख्यमंत्रीश्री नीतीश कुमार पर हमले कर रही है.

 
श्री माँझी द्वारा दलितों और पिछड़ों के समर्थन मे दिये गये बयान की वजह से उनका विरोध पार्टी के अंदर से भी हुआ और मुख्यमंत्री की गद्दी जाने का खतरा भी पैदा हुआ. पर इसकी परवाह न करते हुये अपने बयानों पर कायम रखकर दलितों और पिछड़ों के बीच लोकप्रियता हासिल करने मे कामयाब हुये हैं. चाहे वे अब जितना दिन भी मुख्यमंत्री बने रहें पर बिहार सहित पूरे भारत में एक लोकप्रिय दलित नेता के रूप मे उन्होने जगह तो बना ही ली है. इसका श्रेय बिहार के पूर्व मुख्यमंत्री श्री नीतीश कुमार को भी जाता है जिन्होंने सत्ता लोभ को त्यागते हुये अपनी कुर्सी छोड़ी और एक निम्नवर्गीय परिवार से आनेवाले दलित को मुख्यमंत्री की जिम्मेदारी सौंपी.

Saturday, December 13, 2014

Inside and outside view of Masjide Nabwi, Madinah, Saudi Arabia


Ziarat e Masjide Nabwi, RasoolAllah (sallAllahu alaihi wasallam), Masjid Nabwi, Madinah Munawwarah on 13.12.2014

Inside and outside view of Masjide Nabwi, Madinah, Saudi Arabia


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मोहम्मद खुर्शीद आलम (Mohammad Khurshid Alam)
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Jannat ul Baqi, Madina,Part 2 video graphed on 10.05.2012

Friday, December 5, 2014

इस्लामिक म्यूचुयल फंड (Islamic Mutual Fund)

दिनांक 09.08.2009 के पहले मैं भी ज्यादातर मुसलमानों की तरह हर म्यूचुयल फंड को गैर-इस्लामिक समझता था. लेकिन ऐसा था नही. दिनांक 09.08.2009 के मुम्बई मिरर मे 'होली कॅश' के नाम से मनोज आर नायर का आलेख पढ़ा तो ग्यात हुआ कि भारत मे कुछ ऐसे म्यूचुयल फंड उपलब्ध हैं जो क़ी मुसलमानों की धार्मिक नीतियों के अनुसार निवेश करने की सुविधा देते हैं. इन म्यूचुयल फंड का निवेश उन्ही व्यवसाय मे होता है जो की इस्लामिक नीतियों के अनुसार हलाल यानी वैध व्यवसाय है.

मैने अपनी संतुष्टि और अधिक जानकारी के लिये आलेख मे उल्लेखित टॉरस म्यूचुयल फंड (TAURUS MUTUAL FUND) के सी. ई. ओ. श्री वकार नक़वी से संपर्क किया. उन्होने इस मामले मे मेरी मदद की और एक मुफ़्ती का सर्टिफिकेट भी उपलब्ध करवाया जो इनकी कंपनी को इस मामले मे मदद और देखरेख करते थे. साथ ही अपने स्टाफ श्री मोहम्मद आज़म ( mohammad.azam@taurusmutualfund.com ) 
https://www.facebook.com/azam.mohammad.589 ) (सहायक प्रबंधक) को मुझ तक भेजा. मैं उनके द्वारा उपलब्ध कराई गयी जानकारी से संतुष्ट हुआ और फिर निवेश किया.

आज की तारीख मे भारत मे टाटा म्यूचुयल फंड ने 'टाटा एथिकल फंड', टॉरस म्यूचुयल फंड ने टॉरस एथिकल फंड और गोल्ड्मन सच म्यूचुयल फंड ने गोल्ड्मन सच सी एन एक्स निफ्टी शरिया एक्सचेंज ट्रेडेड स्कीम' के नाम से ऐसे फंड उपलब्ध करवाये हुये हैं. पर जानकारी, जागरुकता और अविश्वास की वजह से बहुत ज्यादा निवेश नही हुये हैं.

यही कारण है कि भारत सरकार ने अपने उपक्रम स्टेट बैंक ऑफ इंडिया की ओर से भी ऐसा एक म्यूचुयल फंड जारी करने का निर्णय लिया है. यह 1 दिसंबर 2014 से जारी होने वाला था पर कुछ तकनीकी कारणों की वजह से जारी नही हो पाया. उम्मीद है कि अगले 1-2 हफ्तों मे यह जारी हो पाये.


इससे सम्बंधित मेरे पिछले ब्लॉग  
'हराम का खाना खाने से बचें' ( http://mka-mka.blogspot.com/2014/07/blog-post.html ) और 'मुसलमान बैंकों से मिलने वाले सूद का क्या करें?' 

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Saturday, November 15, 2014

बीजेपी और मुसलमान: आशंकाएं और उम्मीदें

उत्तरदायित्व का ज्ञान बहुधा हमारे संकुचित विचारों का सुधारक होता है. मुंशी प्रेमचंद का यह कथन बहुधा सत्य होता है. लेकिन मुंशी प्रेमचंद ने कथन मे 'बहुधा' शब्द का प्रयोग किया है 'हमेशा' का नही. इसलिए इसी कथन के अनुसार उत्तरदायित्व का ज्ञान कभी कभार हमारे संकुचित विचारों का सुधारक नही भी हो सकता है.

 

हाल के लोकसभा चुनाव मे भारतीय जनता पार्टी का पूर्ण बहुमत से चुनाव जीतना और नरेन्द्र मोदी का प्रधानमंत्री बनना मुसलमानों के लिए कई आशँकाओं को लेकर आया था. वहीं मैं आश्वस्त था कि उनकी आशंकाएं निर्मूल साबित होगीं क्योंकि उत्तरदायित्व का ज्ञान बहुधा हमारे संकुचित विचारों का सुधारक होता है. लेकिन सरकार बनने के बाद राष्‍ट्रीय स्वयंसेवक संघ, भारतीय जनता पार्टी और नरेन्द्र मोदी द्वारा कुछ ऐसे काम हुए जिससे उनकी आशँकाओं को बल मिला है. सर्वप्रथम आशंका बढाने वाले कुछ कामों का जिक्र कर देता हूँ:

 
1. केन्द्रीय मंत्रिमण्डल में नजमा हेपतुल्ला के अलावे किसी और मुस्लिम को प्रतिनिधित्व नहीं दिया गया जबकि शाहनवाज हुसैन और मुख्तार अब्बास नकवी जैसे योग्य और वफादार नेता भाजपा मे मौजूद हैं. शाहनवाज हुसैन चुनाव हारे थे लेकिन यह समुचित आधार नहीं था, उनको मंत्रिमण्डल से बाहर रखने का क्योंकि अरुण जेटली और स्मृति ईरानी को हार के बावजूद अच्छे मंत्री पद से नवाजा गया.
 
2. उत्तर प्रदेश के उप-चुनाव में मुसलमानों के खिलाफ भडकाऊ और अनर्गल बयान देने वाले योगी आदित्यनाथ को स्टार प्रचारक बनाना.
 
3. उप-चुनाव में काल्पनिक 'लव जिहाद' को मुद्दा बनाना.
 
4. योगी आदित्यनाथ और गिरिराज सिंह के विवादित बयान पर प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी का खामोश रहना.
 
5. अमित शाह को भाजपा का अध्यक्ष बनाया जाना.
 
6. संघ से जुड़े लोगों को पार्टी में प्राथमिकता देना.
 
7. दिनांक 09.11.2014 के मंत्रिमण्डल विस्तार मे विवादित गिरिराज सिंह को शामिल करना. 
 
केन्द्र में भारतीय जनता पार्टी के सत्ता में आने के बाद भारतीय मुसलमानों की उम्मीदें भी वही हैं, जो आम जनता की हैं. भारतीय मुसलमान भी यही चाहता है प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की अगुवाई वाली सरकार भ्रष्टाचार पर जल्द से जल्द लगाम लगाए. बेतहाशा बढ़ती महंगाई पर काबू करे. चुनावी वादों को पूरा करे. पूरे देश मे शान्ति और सद्भाव का माहौल पैदा करे. अभी सरकार बने ज्यादा दिन नही हुए हैं. सरकार के पास पूरा वक़्त है कि मुसलमानों की आशँकाओं को दूर करे और उन्हें समुचित प्रतिनिधित्व दे और भारत के विकास में समान रूप से भागीदार बनाएं.

अरविन्द केजरीवाल: चूक और चुनौतियां

दिल्ली के उप-राज्यपाल श्री नजीब जंग द्वारा दिल्ली विधानसभा को भंग करने की सिफारिश के साथ ही केन्द्र और दिल्ली की राजनीति मे हलचल सी आ गई है. मीडिया, राजनीतिक पार्टियां सहित आम जनता का सारा ध्यान दिल्ली विधानसभा चुनाव की तरफ खींच गया है.

 

चुनाव तो झारखण्ड और जम्मू कश्मीर मे भी हो रहे हैं पर दिल्ली जितना रोमांचक चुनाव शायद ही हों. इसकी खास वजह 'राजधानी दिल्ली' और अरविन्द केजरीवाल हैं. वर्तमान हालत को देखते हुए यह साफ लग रहा है दिल्ली मे मुख्य मुकाबला अरविन्द केजरीवाल की 'आम आदमी पार्टी' और नरेन्द्र मोदी की 'भारतीय जनता पार्टी के बीच होगी. कुछ दिन पहले हुए उप चुनाव मे कांग्रेस की सफलता से कांग्रेस की वापसी की उम्मीद जगी थी जिसे हरियाणा और महाराष्ट्र चुनाव के नतीजों ने खत्म कर दिया. इन दोनों राज्यों के चुनाव के नतीजे ने कांग्रेस का हौसला तोड़ा है और ऐसा लगता है कि शायद ही कोई कॉंग्रेसी यहाँ मुकाबले मे होने की बात सोंचे.

 
निवर्तमान विधानसभा के त्रिशंकु होने की वजह से यह चुनाव हो रहा है, इसलिये तीनों पार्टियाँ पुरजोर कोशिश करेगी कि यह चुनाव पूर्ण बहुमत से जीते. अरविन्द केजरीवाल 'आप' की तरफ से मुख्यमंत्री के उम्मीदवार हैं. आज इन्ही की बात करते हैं. सबसे पहले मैं इनसे हुई कुछ महत्वपूर्ण चूक की बात करते हैं.
 
1. मुख्यमंत्री रहते हुए धरना पर बैठना इनकी बड़ी भूल थी. इस वजह से मीडिया समेत एक बड़ा वर्ग इनसे खिसकने लगा.
 
2. मुख्यमंत्री पोस्ट से इस्तीफा देने की जल्दी करना. इससे लोगों मे यह संदेश गया कि ये सरकार नहीं चला सकते और लोगों मे एक 'भगौड़ा' की छवि स्थापित हो गई.
 
3. कांग्रेस के समर्थन से सरकार बनाने के बावजूद इनका मुख्य टारगेट कांग्रेस ही रहा. यह एक 'अहसानफरामोशी' जैसा कार्य था.
 
अरविन्द केजरीवाल के सामने इस चुनाव मे बहुत सारी चुनौतियाँ हैं. वाराणसी मे नरेन्द्र मोदी के हाथों हुई पराजय का बदला दिल्ली चुनाव जीत कर लेना पहली बड़ी चुनौती होगी. भाजपा भी केजरीवाल के कद से भयभीत है, यही कारण है कि वह मुख्यमंत्री के दावेदार का नाम लेने से बच रही है. चुनाव मुख्यमंत्री का हो रहा है पर भाजपा इसे केजरीवाल बनाम मोदी बनाने मे लगी हुई है क्योंकि भाजपा को लगता है कि मोदी के नाम से वह विजय पा सकती है.
 
कुछ दिनों से दिल्ली मे साम्प्रदायिक ध्रवीकरण का भी प्रयास हो रहा है. इसलिये इनको हर जगह 'न्याय का पक्षधर' साबित करने की चुनौती भी होगी. कांग्रेस अभी से ही वहां तीसरे स्थान पर दिख रही है. इस बात का केजरीवाल को ध्यान रखना होगा. उनका पहला टारगेट भाजपा, मोदी, इनके वादे और महंगाई, भ्रष्टाचार जैसे बड़े मुद्दे पर असफलता को बनाना होगा.

Saturday, October 18, 2014

कांग्रेस और भाजपा का फर्क

                               Difference between Congress and BJP

  
          यूं तो मैं भारतीय राजनीतिक पार्टियों मे कम्यूनिस्ट पार्टी को सबसे ईमानदार और गरीबों की शुभचिंतक मानता हूँ लेकिन अगर कांग्रेस और भाजपा मे से किसी को वोट देना होता है तो मैं इसके लिये कांग्रेस को चुनता हूँ. कांग्रेस और भाजपा मे मैं कांग्रेस को क्यों चुनता हूँ, इसके कुछ ठोस कारणों के उदाहरण मैं यहा पर देता हूँ जिसे नकारना हर भारतीय के लिये मुश्किल होगा.
 
           1. बहुत सारी आवश्यक दवाओं के दाम कांग्रेस सरकार ने अपने नियंत्रण मे रखा था जिसे भाजपा सरकार ने कुछ दिन पहले नियंत्रण मुक्त कर दिया. इससे इन दवाओं की कीमतों मे आशातीत वृद्धि हुई. इससे आम इंसान का नुकसान हुआ जबकि पूंजीपतियों का फायदा हुआ.
  
           2. कांग्रेस सरकार ने रेलवे टिकटों के मूल्य काफी वर्षों से कंट्रोल कर के रखा था जिसे भाजपा सरकार ने आते ही बढ़ा दिया, बजट पूर्व, बजट मे और फिर अभी कुछ दिन पहले तत्कालिक टिकटों के मूल्य मे वृद्धि कर के.
 
           3. आम चीजों के मूल्य मे भी बढ़ोतरी हुई और महंगाई बढी है जो की कांग्रेस सरकार मे अभी के मुकाबले कम थी.
 
          4. भाजपा सरकार ने महंगाई और भ्रष्टाचार के मुद्दे पर चुनाव जीता पर इन दोनों मे कोई कमी नही आई. इन मुद्दों से ध्यान भटकाने के लिये भाजपा ने काल्पनिक 'लव जिहाद' का मुद्दा उछाल दिया. कांग्रेस ऐसा अनैतिक काम नही करती.
 
          5. भाजपा सरकार आने से अनैतिक तत्वों का हौसला बढ जाता है. उत्तर प्रदेश के दंगे, पुणे मे निर्दोष की हत्या, राजदीप सरदेसाई की पिटाई आदि इसके उदाहरण हैं.
 
           6. रुपये के मूल्य मे गिरावट को भी भाजपा ने मुद्दा बनाया था पर सत्ता मे आने के बाद और भी मूल्य गिरा है.
 
           7. पाकिस्तान और चीन के मामले मे भी भाजपा सरकार ने देश को छला है. इनके खिलाफ कड़ी कार्र्वाई करने के बजाये भाजपा सरकार हाथ पर हाथ धरे बैठे रही.
 
उदाहरण तो और कई हैं लेकिन मैं यह सोचता हूँ कि इतने उदाहरण भी आम जनता को गुमराही से बचने के लिये काफी होगा.

केन्द्र की भाजपा सरकार है गरीब विरोधी

         सरकार ने हाल ही मे 108 दवाओं को अपने नियंत्रण से मुक्त कर दिया है. अब दवा कम्पनियाँ अपनी मन मर्जी से इनका मूल्य निर्धारण कर सकती है. पहले यह सरकार के अधीन थी और सरकार की अनुमति के बिना मूल्य नहीं बढ़ा सकती थी. सबूत के लिये दिनांक 26.09.14 का प्रभात खबर देखें. मैने इस पेज को अटॅच करने की कोशिश की है. इसके वेबसाइट के ई-पेपर सेक्सन मे जाकर आप पूरी रिपोर्ट पढ सकते हैं.

Sunday, August 31, 2014

7 बड़े और विनाशकारी गुनाह

                                                   सही बुखारी (नंबर 051:028) की हदीस के अनुसार अल्लाह के नबी मोहम्मद (सल्ललल्लाहु अलैहि वसललम) ने निम्नलिखित 7 बड़े गुनाहों को विनाशकारी बताया और इन गुनाहों से बचने को कहा.
 
1. इबादत मे अल्लाह के साथ किसी को साझेदार बनाना
 
2. जादू करना
 
3. किसी बेगुनाह इंसान की हत्या करना
 
4. सूद खाना
 
5. यतीम यानी अनाथ का माल खाना
 
6. युद्ध के समय दुश्मन से जा मिलना या मैदान छोड़कर भाग खड़ा होना
 
7. धार्मिक और सच्चरित्र औरत का चरित्र हनन करना और झूठे आरोप लगाना
 
                                  
                                              इस हदीस से स्पष्ट है कि इस्लाम मे आतंकवाद की कोई जगह नही है. जो भी गुमराह या ज़ालिम लोग बेगुनाहों का खून बहा रहे हैं वे बहुत बड़ा पाप कर रहे हैं. ऐसे गुमराह या ज़ालिम लोग अगर इस दुनिया मे सजा से बच भी गये तो आखिरत मे इसकी सजा भुगतनी पड़ेगी.
 
                                              आज के जमाने मे औरतों पर ज़ुल्म भी खूब बढ गये हैं. यह सोचने का विषय है कि जब चरित्र हनन इतना बड़ा गुनाह है तो उनसे छेड़-छाड़ और बलात्कार जैसी बुराई करना कितना बड़ा पाप है.
 
                                              हम सारे लोग कोशिश करें कि छोटे-बड़े सारे गुनाहों से बचने वाले हो जाएं. खुद भी गुनाह और बुराई से बचें और साथ ही साथ यह कोशिश भी करें कि हर इंसान इन गुनाहों और बुराइयों से बचने वाला बन जाये.
 
                                             इसलिये हक और सच बात की दावत को अपना काम बनाएं. इसका फायदा सबसे पहले खुद को होगा और अच्छाइयों पर चलना आसान होगा और बुराइयों से बचना आसान होगा. साथ ही साथ अगर आपकी हक और सच बात पर किसी ने अमल किया तो उसका सवाब भी आपको मिलता रहेगा. अगर अमल नही किया फिर भी आपको नेक कोशिश करने का सवाब तो मिलेगा ही.

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Thursday, August 28, 2014

शादी किससे करना चाहिये?

                 सही बुखारी (नंबर 062:027) की हदीस का माफ़ुम है कि अल्लाह के नबी मोहम्मद (सल्ललल्लाहु अलैहि वसललम) ने कहा, " एक औरत से शादी चार कारणों से की जाती है, उसके धन के लिये, उसकी खानदानी रुतबा के लिये, उसकी खूबसूरती के लिये और उसके दीन के लिये. इसलिये तुम्हे चाहिये कि दीनदार औरत से शादी करो वर्ना घाटे मे रहोगे."

 
                 इस हदीस से भी साबित होता है कि 'लव जिहाद' के नाम पर फैलाया जा रहा दुष्प्रचार न सिर्फ झूठा है बल्कि मनगढ़ंत और बेबुनियाद है. हक़ीक़त यह है कि लोगों को ऐसी औरतों से शादी करने की सलाह दी गई है जो पहले से दीनदार हैं.

               ऐसे भी भारत मे गरीबी और बेरोजगारी जैसे कारणों से कई मुस्लिम परिवारों की लड़कियां कुंवारी रह जा रही हैं या शादी मुश्किल से हो पाती है. शादी हो भी गई तो फिर दहेज आदि की प्रताडना दी जाती है. ऐसे मे मुस्लिम युवक दूसरे धर्म की युवती से शादी कर पुण्य कमाएं, यह गुमराह करने वाली बात है. इसलिये भारत की आम जनता को अशान्तिप्रिय तत्व से सावधान रहने की जरूरत है और उनके छल को समझने की जरूरत है.
 
                भारतीय मुस्लिम युवकों को और ज्यादा सावधानी बरतने की जरूरत है. उन्हे चाहिये कि धर्म की अच्छाइयों पर पूरी तरह अमल करें ताकि किसी को उनकी किसी भी एक बुराई की वजह से समाज का अमन - चैन खराब करने का मौका न मिले.

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Friday, August 22, 2014

लव ज़िहाद : कल्पना से अधिक कुछ नही

             आजकल 'लव ज़िहाद' की खूब चर्चा है. कुछ लोगों का मानना है कि कुछ मुस्लिम युवक दूसरे धर्म की युवतियों को पहले प्रेम जाल मे फांसते हैं और फिर धर्म परिवर्तन कराकर शादी करते हैं.

           हक़ीक़त मे यह एक दुष्प्रचार है जो उन लोगों द्वारा फैलाया गया है जो इस्लाम को बदनाम करना चाहते हैं और मुस्लिमों के प्रति नफरत की भावना फैलाना चाहते हैं.

         
इस्लाम मे तो एक मर्द द्वारा अपनी बीवी के अलावा किसी दूसरी लड़की या औरत को घूर कर देखना भी गुनाह है. इसी गुनाह के चलते डा. ज़ाकिर नायक ने पीस टी वी के कैमरामैनों को निर्देश दे रखा है कि किसी भी कार्यक्रम मे महिलाओं की तरफ उनका फोकस कुछ सेकंडों से ज्यादा न हो.

             एक हदीस मे पैगंबर मोहम्म्द (स. अ. व.) ने एक गैर- महरम (करीबी रिश्तेदार को छोड़कर) मर्द और औरत को एकांत मे बैठने को भी मना फरमाया है ताकि शैतान अपना काम न कर जाये. फिर यह कैसे संभव है कि मुसलमान काल्पनिक 'लव ज़िहाद' का समर्थन करें या कुछ लोग इसमे शामिल हों.

             दरअसल जो कुछ मामले मुस्लिम युवकों के दूसरे धर्म की युवतियों से शादी के पाये जाते हैं वह उसी ढंग से प्राकृतिक कारणों की वजह से है जैसे कुछ मुस्लिम लड़कियां दूसरे धर्म के लड़कों से शादी करती हैं. इसमे धर्म का कुछ रोल नही बल्कि प्राकृतिक आकर्षण भर है.

           भारत मे ऐसे भी ज्यादातर मुस्लिम युवक अशिक्षा, बेरोजगारी और गरीबी की समस्याओं से जूझ रहा है. इस बात को कई सरकारी रेपोर्टें भी सही ठहराती है. ऐसे मे इन लोगों को ऐसे 'अनैतिक और मुश्किल अभियान' मे शामिल होने की बात करना बेवकूफी से ज्यादा कुछ नही है.

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हिम्मत न हार, हिम्मत न हार (कविता)

सच राह पर चलने मे,

आती है मुसीबतें हजार.


पर हर हाल मे
हिम्मत न हार,हिम्मत न हार.


कभी असत्य जीत जाता है
पर वह होता स्थायी नही.

अंतिम जीत होती है सत्य की
और यही जीत होती है स्थायी.

दुश्मन भी बनते हैं हजार
जब चलें हम सत्य के मार्ग.

पर हमे घबराना नही
ईश्वर साथ है सत्य के मार्ग.

सच राह पर चलने मे,
आती है मुसीबतें हजार.

पर हर हाल मे
हिम्मत न हार,हिम्मत न हार.
- मोहम्मद खुर्शीद आलम

Friday, August 15, 2014

बलात्कारी न हिन्दू होता है, न मुसलमान होता है (कविता)

बलात्कारी न हिन्दू होता है, न मुसलमान होता है.
वह तो सिर्फ और सिर्फ एक शैतान होता है.


सब मिलकर करें मुकाबला ऐसे शैतानों से.
तभी मुक्ति मिलेगा समाज को हैवानों से.


चौकन्ना रहें सब गुंडा और दंगाई से.
नही फायदा जनता का, आपसी लड़ाई से.

दोषी को खोज निकालें.
निर्दोष को हर हाल मे बचाएं.

शान्ति और समृद्धि के दुश्मन से लड़े मिल साथ.
तभी होगा भारत का समुचित विकास.
- मोहम्मद खुर्शीद आलम

Sunday, July 27, 2014

गीबत है बहुत बड़ा गुनाह (Backbiting is very big sin)

                 चुगली करना, गीबत करना और ताना मार कर बात करना ऐसे गुनाह हैं जिससे बहुत कम लोग ही बच पाते हैं. कुछ लोग इस अंदाज़ मे ये गुनाह करते हैं जैसे उन्हे इसमे बुराई दिखती ही नही है. लेकिन ये गुनाह भी बड़े हैं और सबको इससे बचना चाहिये.

 
           अल्लाह ने क़ुरान (104:1) मे फरमाया, " बड़ी खराबी है उस शख्स के लिये जो ताना मार कर बात करने वाला हो और पीठ पीछे किसी की बुराई (गीबत) करने वाला हो." अल्लाह ने क़ुरान (049:12) मे गीबत को 'अपने मृत भाई के गोश्त खाने' जैसा गुनाह बताया  है.

            इसलिये सबको चाहिये कि बोलने मे हमेशा सावधानी बरतें.अगर किसी बात से किसी का कोई फायदा नही तो उसे न बोलना ही बेहतर है. सत्य बात भी अप्रिय तरीके से नही बोलना चाहिये. किसी का मजाक या उपहास उड़ाना नही चाहिये. दूसरे की निन्दा को अपना शौक बनाना नही चाहिये. 

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सासाराम और औरंगाबाद गोलीकांड

                यूरॉप के देशों के पास अनियंत्रित भीड़ को काबू करने के लिए अच्छी तकनीक है. भारत को और ख़ासकर बिहार पुलिस को उनसे सीखना चाहिए. गोली चलाने से पहले अश्रु गैस और लाठी चार्ज का उपयोग होना चाहिए. सासाराम और औरंगाबाद गोलीकांड मे अश्रु गैस और लाठी चार्ज का उपयोग क्यों नही किया गया, सरकार को इसका जवाब देना चाहिए. थानों के आसपास बहुत बड़ी भीड़ इकट्ठा होने नही देना चाहिए. हर जिले मे ५० पुलिस का एक दस्ता बनाना चाहिए जिसे भीड़ को नियंत्रित करने मे ट्रैनिंग मिली हो और उनके पास अश्रु गैस का स्टॉक होना चाहिए. इनके पास तीव्र गति का वाहन होना चाहिए और इन्हे जिले के केंद्र मे रखा जाना चाहिए ताकि घटना स्थल पर जल्द पहुँच सकें.    

                 शायद 2011 का इंग्लेंड दंगा सबको याद होगा. बड़े पैमाने पर युवाओं के कुछ ग्रूप ने दंगा किया था. यह दंगा 6 अगस्त से 11 अगस्त तक चला था लेकिन पुलिस ने जिस ढंग से काबू पाया था वह काबिल-ए-तारीफ है. अधिक से अधिक अश्रु गैस और लाठी चार्ज का इस्तेमाल किया गया और फाइरिंग न के बराबर. इसलिये जान का कम से का नुकसान हुआ था.

                      
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                     आम आदमी को भी ऐसे अनियंत्रित भीड़ मे शामिल होने से बचना चाहिये. विरोध का तरीका हमेशा शांतिपूर्ण होना चाहिये. साथ ही विरोध अन्याय और ज़ुल्म का होना चाहिये न कि किसी गुनाहगार के पकड़े जाने पर. दोषी आदमी की गिरफ्तारी पर पुलिस का साथ देना चाहिये. अगर गलती से निर्दोष पर कार्र्वाई हो तो इसका शांतिपूर्ण विरोध होना चाहिये और पुलिस को उसकी निर्दोषिता का सबूत देना चाहिये.

अल्लाह एक है (Allah is One)

अल्लाह ने बंदों की आसानी के लिये क़ुरान मे अपनी परिभाषा खुद दी है ताकि लोग इस सृष्टिकर्ता और पूरी दुनिया के रब को आसानी से समझ सकें और गुमराह होने से बच जाएं.


क़ुरान (112:1-4)


1. (आप) कह दीजिये कि वह अल्लाह एक (ही) है.

2. अल्लाह बेनियाज़ है (किसी के अधीन नही, सभी उसके अधीन है).

3. न उससे कोई पैदा हुआ और न वह किसी से पैदा हुआ.

4. और न कोई उसका हमसर (समकक्ष) है.


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Thursday, July 17, 2014

कौन इंसान फायदे मे है? (Which Human Being are in Benefit?)

            इंसान दुनिया मे अगर खूब धन दौलत और शोहरत हासिल कर लेता है तो खुद को कामयाब और बड़ा फायदे वाला समझने लगता है. लेकिन इंसान की यह भूल है. धन-दौलत और शोहरत तो हराम तरीके से धन अर्जित कर के भी हासिल किया जा सकता है लेकिन दरअसल यह घाटे का सौदा है. अल्लाह ने धन-दौलत हासिल करने के लिये मना नही किया है मगर हलाल तरीके से. अल्लाह ने 'शोहरत के उद्येश्य' से किये गये काम को मना फरमाया है. हमारा हर नेक काम अल्लाह को राज़ी करने के उद्येश्य से होना चाहिये न कि दुनिया मे शोहरत और दिखावे के उद्येश्य से. दिखावे के उद्येश्य से किया गया अरबों और करोड़ों रुपये का दान अल्लाह को नापसंद है जबकि एक रुपये का दान भी अगर अल्लाह को राज़ी करने के उद्येश्य से किया गया तो यह अल्लाह को पसंद है.


              क़ुरान के सूरतुल अस्र (103:1-3) मे अल्लाह जमाने की कसम खाकर कहता है कि सारे इंसान घाटे मे है लेकिन ईमान लाने वाले और नेक अमल करने वाले और नेक अमल की दावत देने वाले और सब्र की नसीहत करने वाले फायदे मे हैं. अल्लाह को कसम खाने की क्या जरूरत है लेकिन अल्लाह को अपने बंदे से इतनी मोहब्बत है कि कसम खाकर भी बंदों को सत्य मार्ग पर चलाना चाहता है. अल्लाह अपने हर बंदे को जन्नत मे जाने वाला देखना चाहता है और जहन्नम से छुटकारा पाने वाला.


               इस सम्बंध मे एक हदीस का माफ़ुम है कि अल्लाह अपने बंदों से एक माँ की मोहब्बत से 70 गुना ज्यादा मोहब्बत करता है. इसलिये सारे इंसान को चाहिये कि हक बात की पहचान करे और उस पर ईमान लाये. सिर्फ और सिर्फ हक पर चलने वाला बने और हक बात को दूसरों तक भी पहुँचाये. हर हाल मे सब्र यानी संयम को अख्तियार करे और इसकी दूसरों को भी नसीहत करे.

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Saturday, July 12, 2014

माँ से बड़ा कोई नही (Mother is Greater than All Relatives)

          सही बुखारी (नंबर 073:002) की हदीस का माफ़ुम है कि एक आदमी अल्लाह के नबी मोहम्मद (सल्ललल्लाहु अलैहि वसललम) के पास आया और पूछा, " ऐ अल्लाह के नबी, मुझसे सबसे अच्छा सुलूक (व्यवहार) पाने का हक़दार कौन है? अल्लाह के नबी ने जवाब दिया, "तुम्हारी माँ." आदमी ने पूछा,'उसके बाद?'. अल्लाह के नबी ने जवाब दिया, "तुम्हारी माँ". आदमी ने फिर पूछा, 'उसके बाद?" अल्लाह के नबी ने जवाब दिया, "तुम्हारी माँ." आदमी ने चौथी बार फिर पूछा, 'उसके बाद?" अल्लाह के नबी ने जवाब दिया, "तुम्हारे पिता." 

           एक दूसरी हदीस मे माँ के पैरों तले जन्नत कहा गया. संस्कृत मे एक श्लोक का अर्थ है कि माँ और मातृभूमि स्वर्ग से भी बढ़कर हैं.

             अल्लाह और अल्लाह के रसूल मोहम्मद (स. अ. व.) ने सारे इंसानों से अच्छे अख़लाक़ से पेश आने को कहा है. यहाँ तक कि किसी को बिना वजह बातों से तकलीफ पहुंचाना भी गुनाह कहा गया. बिना वजह किसी का दिल तोड़ना काबा तोड़ने से भी बड़ा गुनाह बताया गया है.

               इसलिये हम सारे इंसानों को चाहिये कि दूसरे इंसान के साथ अच्छे व्यवहार से पेश आयें. माँ- बाप की खिदमत करें और सबको अपना हक अदा करने वाले बनें.

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हराम का खाना खाने से बचें

एक हदीस का माफ़ुम है कि जिसके हराम का खाना खाने से बचें पेट मे हराम का एक लुकमा भी चला गया उसकी 40 दिन तक कोई इबादत कुबूल नही होगी. इसलिये अगर हम ढेर सारी इबादतें करते हैं, पाँचों वक़्त नमाज़ भी पढ़ते हैं, रोज़ा भी रखते हैं और बाकी सारे इबादत भी करते हैं लेकिन हमारी जायज़ दुआ कुबूल नही हो रही है तो अपनी कमाई के ज़रिये पर जरूर गौर फरमायें.


           हमारी कमाई बिल्कुल हलाल तरीके से कमाई की गई होनी चाहिये. चोरी, डकैती, छिंतई, बेईमानी, रिश्वतखोरी, जमाखोरी, सूदखोरी, जुआ, वेश्यावृति आदि कमाई के हराम तरीके हैं और हमे हर हाल मे इन बुराइयों से बचना चाहिये. अगर हम हराम कमाई से न बचें तो हमारा एक लुकमा क्या, पूरा खाना ही हराम होगा. और अगर हम डेली हराम खाने वाले बनेंगे तो न हमारी इबादत कुबूल होगी और न ही हमारी दुआएँ.


           इसलिये हर इंसान अपने इबादत और अच्छे आमाल के साथ ही अपने इनकम पर ध्यान रखे. पूरी कोशिश करे कि उसके इनकम मे हराम का एक पैसा भी शामिल न हो और अगर किसी भूलवश या कुछ तकनीकी दिक्कतों की वजह सेहराम का इनकम आ जाये तो जल्द से जल्द उस हराम वाले इनकम को किसी गरीब या जरूरतमंद को बिना सवाब की नियत से दे दें.

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Saturday, June 28, 2014

सिर्फ महादलितों के लिये योजनाएं क्यों?

              बिहार के नये मुख्यमंत्री श्री जीतन राम माँझी आजकल कई अहम और कड़े फैसले ले रहे हैं. उन्होने वो फैसले भी लिये जिसे लेने मे पिछले मुख्यमंत्री श्री नीतीश कुमार हिचक रहे थे. इससे यह बात साफ हो गयी है कि श्री माँझी रेमोट कंट्रोल वाले मुख्यमंत्री नही हैं और खुद फैसला लेने मे सक्षम हैं. इससे श्री नीतीश कुमार की अच्छाई का भी पता चलता है कि वे नये मुख्यमंत्री को सभी फैसले लेने की आजादी दे रखी है और किसी भी ढंग का हस्तक्षेप नही कर रहे हैं.

            अहम और कड़े फैसले मे एक फैसला बिहार के पुलिस प्रमुख का चेंज करना है. यह तो आने वाला वक़्त ही बतायेगा कि श्री माँझी का लिया गया फैसला कितना सही है और कितना गलत. लेकिन यह सही है कि श्री अभयानंद के विनम्र स्वभाव का उनके कुछ जूनियर ऑफीसर नाजायज़ फायदा उठाते थे और उनके दिशा निर्देश को ठंडे बस्ते मे डाले रखते थे.


        श्री माँझी ने कई कल्याणकारी योजनायों की घोषणा की है जिसमे से अधिकतम योजनाएं महादलितों के कल्याण की है. श्री माँझी को याद रखना होगा कि वे सभी वर्गों के लिये मुख्यमंत्री है. इसलिये उनसे गुजारिस है कि सारी योजनाएं महादलित, दलित, पिछडे वर्ग, अल्पसंख्यक, गरीब स्वर्ण आदि सभी कमजोर और वंचित लोगों के हित मे हो, इसका वे ध्यान रखें.

Wednesday, June 25, 2014

नमो से मेरी सहमति

           कुछ दिन पहले एक समाचार पढ कर ग्यात हुआ था कि भारत के प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी आडवाणी और जोशी जैसे बुजुर्ग नेता को कॅबिनेट से बाहर इसलिये रखा क्योंकि उनकी उम्र 75 वर्ष से ज्यादा है. मैं नमो के इस अघोषित नियम से सहमत हूँ बल्कि इसको 65 वर्ष करने की मांग करता हूँ.

            भारत के सरकारी कार्यालयों मे काम करने की अधिकतम उम्र कहीं 58, कही 60, कहीं 62 और कहीं 65 वर्ष है. इसके बाद इन्हे काम के योग्य नही समझा जाता और रिटाइर कर दिया जाता है. जब एक आम आदमी 65 वर्ष उम्र पार करने के बाद बच्चों को पढ़ाने के योग्य भी नही रह जाता तो 65 वर्ष के बाद देश और राज्य चलाने की क्षमता कैसे रह जाती है, यह सोंचने वाली बात है.

            इसलिये मैं प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी, राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी और सभी सम्बंधित लोगों से मांग करता हूँ कि कानून बनाकर राष्ट्रपति, राज्यपाल, सांसद, विधायक, विधान परिषद सदस्य जैसे पदों के लिये अधिकतम उम्र सीमा 65 वर्ष तय करें.

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