आजकल दूसरों के धर्म में टांग अडाना फैसन सा हो गया है. लोग अपने धर्म पर बात नहीं करते बल्कि दूसरों के धर्म पर खूब ज्ञान पेल रहे हैं. भाजपा की केंद्र सरकार को इस्लाम धर्म में तलाक, शादी, हलाला आदि नियमों में बहुत बुराइयां दिख रही है और सुप्रीम कोर्ट से उम्मीद कर रही है कि वो इन बुराइयों का खात्मा कर दे.
कई लोगों के लिए मूर्ति पूजा, लिंग पूजा, योनी पूजा, जानवर को माँ कहने की प्रथा आदि बुरी लगती है तो क्या इन्हें भी सुप्रीम कोर्ट जाकर इस पर रोक लगाने की मांग करना चाहिए. मेरा जवाब ना में है. मैं यह चाहता हूँ कि हिन्दू भाई अपने धर्म कि समस्याएँ खुद सुलझाए. इसी तरह मुस्लमान अपने धर्म की समस्या खुद सुलझाएं. सिख, इसाई और पारसी अपनी धार्मिक समस्यां खुद सुलझाये.
यहाँ तो सभी को धार्मिक सवतंत्रता है. अगर आप को कोई धर्म अच्छा नहीं लगता तो आप अपना पसंदीदा धर्म अपना सकते हैं.