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Sunday, July 27, 2014

गीबत है बहुत बड़ा गुनाह (Backbiting is very big sin)

                 चुगली करना, गीबत करना और ताना मार कर बात करना ऐसे गुनाह हैं जिससे बहुत कम लोग ही बच पाते हैं. कुछ लोग इस अंदाज़ मे ये गुनाह करते हैं जैसे उन्हे इसमे बुराई दिखती ही नही है. लेकिन ये गुनाह भी बड़े हैं और सबको इससे बचना चाहिये.

 
           अल्लाह ने क़ुरान (104:1) मे फरमाया, " बड़ी खराबी है उस शख्स के लिये जो ताना मार कर बात करने वाला हो और पीठ पीछे किसी की बुराई (गीबत) करने वाला हो." अल्लाह ने क़ुरान (049:12) मे गीबत को 'अपने मृत भाई के गोश्त खाने' जैसा गुनाह बताया  है.

            इसलिये सबको चाहिये कि बोलने मे हमेशा सावधानी बरतें.अगर किसी बात से किसी का कोई फायदा नही तो उसे न बोलना ही बेहतर है. सत्य बात भी अप्रिय तरीके से नही बोलना चाहिये. किसी का मजाक या उपहास उड़ाना नही चाहिये. दूसरे की निन्दा को अपना शौक बनाना नही चाहिये. 

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सासाराम और औरंगाबाद गोलीकांड

                यूरॉप के देशों के पास अनियंत्रित भीड़ को काबू करने के लिए अच्छी तकनीक है. भारत को और ख़ासकर बिहार पुलिस को उनसे सीखना चाहिए. गोली चलाने से पहले अश्रु गैस और लाठी चार्ज का उपयोग होना चाहिए. सासाराम और औरंगाबाद गोलीकांड मे अश्रु गैस और लाठी चार्ज का उपयोग क्यों नही किया गया, सरकार को इसका जवाब देना चाहिए. थानों के आसपास बहुत बड़ी भीड़ इकट्ठा होने नही देना चाहिए. हर जिले मे ५० पुलिस का एक दस्ता बनाना चाहिए जिसे भीड़ को नियंत्रित करने मे ट्रैनिंग मिली हो और उनके पास अश्रु गैस का स्टॉक होना चाहिए. इनके पास तीव्र गति का वाहन होना चाहिए और इन्हे जिले के केंद्र मे रखा जाना चाहिए ताकि घटना स्थल पर जल्द पहुँच सकें.    

                 शायद 2011 का इंग्लेंड दंगा सबको याद होगा. बड़े पैमाने पर युवाओं के कुछ ग्रूप ने दंगा किया था. यह दंगा 6 अगस्त से 11 अगस्त तक चला था लेकिन पुलिस ने जिस ढंग से काबू पाया था वह काबिल-ए-तारीफ है. अधिक से अधिक अश्रु गैस और लाठी चार्ज का इस्तेमाल किया गया और फाइरिंग न के बराबर. इसलिये जान का कम से का नुकसान हुआ था.

                      
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                     आम आदमी को भी ऐसे अनियंत्रित भीड़ मे शामिल होने से बचना चाहिये. विरोध का तरीका हमेशा शांतिपूर्ण होना चाहिये. साथ ही विरोध अन्याय और ज़ुल्म का होना चाहिये न कि किसी गुनाहगार के पकड़े जाने पर. दोषी आदमी की गिरफ्तारी पर पुलिस का साथ देना चाहिये. अगर गलती से निर्दोष पर कार्र्वाई हो तो इसका शांतिपूर्ण विरोध होना चाहिये और पुलिस को उसकी निर्दोषिता का सबूत देना चाहिये.

अल्लाह एक है (Allah is One)

अल्लाह ने बंदों की आसानी के लिये क़ुरान मे अपनी परिभाषा खुद दी है ताकि लोग इस सृष्टिकर्ता और पूरी दुनिया के रब को आसानी से समझ सकें और गुमराह होने से बच जाएं.


क़ुरान (112:1-4)


1. (आप) कह दीजिये कि वह अल्लाह एक (ही) है.

2. अल्लाह बेनियाज़ है (किसी के अधीन नही, सभी उसके अधीन है).

3. न उससे कोई पैदा हुआ और न वह किसी से पैदा हुआ.

4. और न कोई उसका हमसर (समकक्ष) है.


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Thursday, July 17, 2014

कौन इंसान फायदे मे है? (Which Human Being are in Benefit?)

            इंसान दुनिया मे अगर खूब धन दौलत और शोहरत हासिल कर लेता है तो खुद को कामयाब और बड़ा फायदे वाला समझने लगता है. लेकिन इंसान की यह भूल है. धन-दौलत और शोहरत तो हराम तरीके से धन अर्जित कर के भी हासिल किया जा सकता है लेकिन दरअसल यह घाटे का सौदा है. अल्लाह ने धन-दौलत हासिल करने के लिये मना नही किया है मगर हलाल तरीके से. अल्लाह ने 'शोहरत के उद्येश्य' से किये गये काम को मना फरमाया है. हमारा हर नेक काम अल्लाह को राज़ी करने के उद्येश्य से होना चाहिये न कि दुनिया मे शोहरत और दिखावे के उद्येश्य से. दिखावे के उद्येश्य से किया गया अरबों और करोड़ों रुपये का दान अल्लाह को नापसंद है जबकि एक रुपये का दान भी अगर अल्लाह को राज़ी करने के उद्येश्य से किया गया तो यह अल्लाह को पसंद है.


              क़ुरान के सूरतुल अस्र (103:1-3) मे अल्लाह जमाने की कसम खाकर कहता है कि सारे इंसान घाटे मे है लेकिन ईमान लाने वाले और नेक अमल करने वाले और नेक अमल की दावत देने वाले और सब्र की नसीहत करने वाले फायदे मे हैं. अल्लाह को कसम खाने की क्या जरूरत है लेकिन अल्लाह को अपने बंदे से इतनी मोहब्बत है कि कसम खाकर भी बंदों को सत्य मार्ग पर चलाना चाहता है. अल्लाह अपने हर बंदे को जन्नत मे जाने वाला देखना चाहता है और जहन्नम से छुटकारा पाने वाला.


               इस सम्बंध मे एक हदीस का माफ़ुम है कि अल्लाह अपने बंदों से एक माँ की मोहब्बत से 70 गुना ज्यादा मोहब्बत करता है. इसलिये सारे इंसान को चाहिये कि हक बात की पहचान करे और उस पर ईमान लाये. सिर्फ और सिर्फ हक पर चलने वाला बने और हक बात को दूसरों तक भी पहुँचाये. हर हाल मे सब्र यानी संयम को अख्तियार करे और इसकी दूसरों को भी नसीहत करे.

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Saturday, July 12, 2014

माँ से बड़ा कोई नही (Mother is Greater than All Relatives)

          सही बुखारी (नंबर 073:002) की हदीस का माफ़ुम है कि एक आदमी अल्लाह के नबी मोहम्मद (सल्ललल्लाहु अलैहि वसललम) के पास आया और पूछा, " ऐ अल्लाह के नबी, मुझसे सबसे अच्छा सुलूक (व्यवहार) पाने का हक़दार कौन है? अल्लाह के नबी ने जवाब दिया, "तुम्हारी माँ." आदमी ने पूछा,'उसके बाद?'. अल्लाह के नबी ने जवाब दिया, "तुम्हारी माँ". आदमी ने फिर पूछा, 'उसके बाद?" अल्लाह के नबी ने जवाब दिया, "तुम्हारी माँ." आदमी ने चौथी बार फिर पूछा, 'उसके बाद?" अल्लाह के नबी ने जवाब दिया, "तुम्हारे पिता." 

           एक दूसरी हदीस मे माँ के पैरों तले जन्नत कहा गया. संस्कृत मे एक श्लोक का अर्थ है कि माँ और मातृभूमि स्वर्ग से भी बढ़कर हैं.

             अल्लाह और अल्लाह के रसूल मोहम्मद (स. अ. व.) ने सारे इंसानों से अच्छे अख़लाक़ से पेश आने को कहा है. यहाँ तक कि किसी को बिना वजह बातों से तकलीफ पहुंचाना भी गुनाह कहा गया. बिना वजह किसी का दिल तोड़ना काबा तोड़ने से भी बड़ा गुनाह बताया गया है.

               इसलिये हम सारे इंसानों को चाहिये कि दूसरे इंसान के साथ अच्छे व्यवहार से पेश आयें. माँ- बाप की खिदमत करें और सबको अपना हक अदा करने वाले बनें.

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हराम का खाना खाने से बचें

एक हदीस का माफ़ुम है कि जिसके हराम का खाना खाने से बचें पेट मे हराम का एक लुकमा भी चला गया उसकी 40 दिन तक कोई इबादत कुबूल नही होगी. इसलिये अगर हम ढेर सारी इबादतें करते हैं, पाँचों वक़्त नमाज़ भी पढ़ते हैं, रोज़ा भी रखते हैं और बाकी सारे इबादत भी करते हैं लेकिन हमारी जायज़ दुआ कुबूल नही हो रही है तो अपनी कमाई के ज़रिये पर जरूर गौर फरमायें.


           हमारी कमाई बिल्कुल हलाल तरीके से कमाई की गई होनी चाहिये. चोरी, डकैती, छिंतई, बेईमानी, रिश्वतखोरी, जमाखोरी, सूदखोरी, जुआ, वेश्यावृति आदि कमाई के हराम तरीके हैं और हमे हर हाल मे इन बुराइयों से बचना चाहिये. अगर हम हराम कमाई से न बचें तो हमारा एक लुकमा क्या, पूरा खाना ही हराम होगा. और अगर हम डेली हराम खाने वाले बनेंगे तो न हमारी इबादत कुबूल होगी और न ही हमारी दुआएँ.


           इसलिये हर इंसान अपने इबादत और अच्छे आमाल के साथ ही अपने इनकम पर ध्यान रखे. पूरी कोशिश करे कि उसके इनकम मे हराम का एक पैसा भी शामिल न हो और अगर किसी भूलवश या कुछ तकनीकी दिक्कतों की वजह सेहराम का इनकम आ जाये तो जल्द से जल्द उस हराम वाले इनकम को किसी गरीब या जरूरतमंद को बिना सवाब की नियत से दे दें.

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