हजरत हुसैन (र.) की शहादत को याद करें जिन्होंने जंग के मैदान मे भी अल्लाह के हुक्म (नमाज) को नहीं छोड़ा। और आज हम हैं कि न जाने अल्लाह के कितने हुक्मों को तोड़ और छोड़ रहे हैं।
तौबा करें गुनाहों से और अल्लाह के बताए हुए सच और इंसाफ के रास्ते पर चलें। आमीन।