समाजवादी पार्टी और भारतीय जनता पार्टी के बीच सांठ-गांठ के आरोप कई बार पढ़ चुका हूँ लेकिन मुझे यकीन कभी नहीं हुआ और अधिकांश लोग भी यकीन नहीं करते होंगे। कारण साफ है कि खुले में दोनों पार्टियां एक दूसरे की घोर विरोधी हैं। जहां भारतीय जनता पार्टी के नेता और समर्थक बाबरी मस्जिद विध्वंस के आरोपी बने, वहीं समाजवादी पार्टी के मुखिया मुलायम सिंह यादव ने बाबरी मस्जिद की सुरक्षा के लिये तथाकथित 'रामभक्तों' पर गोलियां चलवाईं। जहां भारतीय जनता पार्टी मुसलमानों को दिये 5% आरक्षण भी छीन लेती है, वहीं समाजवादी पार्टी मुसलमानों को 18% आरक्षण देने की बात करती है (यह अलग बात है कि देती 1% भी नही है)।
भारतीय जनता पार्टी जहां पूंजीपतियों और स्वर्ण लोगों की पक्षधर मानी जाती है, वहीं समाजवादी पार्टी गरीबों और पिछड़ी जाति की समर्थक मानी जाती है। कहने का तात्पर्य यह है कि दोनों को सिद्धांततः घोर विरोधी माना जाता है।
हालांकि आजकल की परिस्थितियों के मद्देनज़र इनके घोर विरोधी होने में मुझे भी शक होने लगा है और ऐसा प्रतीत होने लगा है कि अंदर ही अंदर इनके बीच सांठ-गांठ है। कुछ उदाहरण देखिए:
1. मुजफ्फरनगर दंगों पर कई दिनों तक काबू नहीं पाया गया। इतने बड़े प्रदेश की पुलिस के पास इतने संसाधन तो जरूर हैं कि किसी एक शहर मे दंगा होने पर तुरंत काबू पा सकें लेकिन या तो इच्छाशक्ति की कमी रही या राजनीतिक साजिश यानी नुकसान होने के बाद मुआवजा देकर मसीहा बनने का ढोंग।
2. उत्तर प्रदेश के कई शहरों में कुछ साम्प्रदायिक नेता खुलेआम भड़काऊ और नफरत फैलाने वाले भाषण दे रहे हैं। ये भाषण मीडिया की सुर्खियां बन रहे हैं। ज़ाहिर सी बात है कि ऐसी सभाओं में पुलिस अधिकारी भी मौजूद रहते होंगे पर कार्रवाई किसी पर नहीं हो रही।
3. बाबरी मस्जिद विध्वंस के समय मुख्यमंत्री रहे श्री कल्याण सिंह से पूर्व में समझौता कर अपनी खुली नीतियों मे संदेह तो समाजवादी पार्टी ने पहले ही पैदा कर दिया था।
4. हाल में मुलायम सिंह यादव ने अपने पोते की शादी मे प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी को बुलाकर इनसे घालमेल की संभावना को मजबूती दी है।
5. हिंदूवादी संगठनों के दबाव में आकर ऑल इंडिया मसलिस-ए-इत्तेहादुल मुस्लिमीन (एआईएमआईएम) प्रमुख असदुद्दीन ओवैसी को 29 मार्च को आगरा में बैठक करने की इजाजत नहीं दी गई। नवभारत टाइम्स का यह समाचार भी देखें :
6. धर्म परिवर्तन और घर वापसी के नाम पर सबसे ज्यादा अफरा-तफरी का माहौल उत्तर प्रदेश में ही रहा।
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