दिल्ली विधानसभा चुनाव में 'आप' की अप्रत्याशित सफलता से प्रेरित होकर बिहार के पूर्व मुख्यमंत्री श्री जीतन राम माँझी और उनके समर्थकों ने 'हम' (हिन्दुस्तानी आवाम मोर्चा) नाम की पार्टी बना ली। श्री माँझी और उनके समर्थकों को पूरी उम्मीद होगी कि ऐसा नाम रखने से उन्हें बिहार में भी वही सफलता मिलेगी जो सफलता दिल्ली में 'आप' को मिली है। अगर उनकी उम्मीद सही साबित हुई तो फिर ऐसे पार्टी नामों की झड़ी लग जायेगी जिनके संक्षेप 'तुम', 'वह', 'लोग' आदि शब्द बनते हों।
'आप' कहीं 'तुम' न बन जाये?
कुछ दिनों से प्रशांत भूषण और योगेन्द्र यादव की जो खबरें आ रही है, उससे लगता है कि 'आप' मे कुछ गडबड है। दिल्ली के मुख्यमंत्री श्री अरविन्द केजरीवाल ने अपने कार्यकर्ताओं को अप्रत्याशित जीत से उत्साहित होकर घमंड न करने की सलाह दी थी लेकिन लगता है कि सबसे ज्यादा घमंड उन्हीं में आ गया है। अगर श्री केजरीवाल के समर्थक प्रशांत भूषण और योगेन्द्र यादव को हाशिये पर ले जाने की कोशिश कर रहे हैं तो उनका मौन समर्थन जरूर होगा। अगर श्री केजरीवाल यह समझते हैं कि दिल्ली की जनता ने सिर्फ उनके नाम पर वोट दिया है तो उनकी यह भूल होगी। दिल्ली की जनता ने 'आप' को वोट दिया है और श्री केजरीवाल को नेता माना है।
'आप' की जीत में पार्टी के सभी नेताओं के साथ ज़मीन से जुड़े कार्यकर्ताओं की बड़ी भूमिका है। प्रशांत भूषण और योगेन्द्र यादव ने भी जीत में भूमिका निभाई है। श्री केजरीवाल के भाषणों से लगता है कि उन्हें सर्वशक्तिमान ईश्वर में गहरी आस्था है, इसलिये उन्हें चाहिये की बड़ी जीत के बाद भी ईमानदार रहें और किसी अन्य नेता के खिलाफ साजिश न करें। बड़ी जीत के कारण यह संभव है कि इन दो नेताओं को पार्टी से निकालने के बाद भी दिल्ली सरकार पर कोई असर न पड़े पर उन्हें यह ध्यान में रखना होगा ईश्वर छोटे बड़े सभी पापों पर नज़र रखता है और कभी भी सजा दे सकता है। ईश्वर की एक सजा यह भी हो सकती है कि 'आप' की इज़्ज़त 'तुम' जैसा कर दे।
विश्वसनीय साथी
जिस ढंग से श्री नरेन्द्र मोदी को बहुत पहले ही भरोसेमंद और विश्वसनीय साथी के रूप मे अमित शाह मिले थे उसी ढंग से श्री अरविन्द केजरीवाल को श्री मनीष सिसोदिया मिले हैं। प्रधानमंत्री मोदी ने अमित शाह को विश्वसनीयता के उपहार में भाजपा का पार्टी अध्यक्ष बनाया, उसी तरह मुख्यमंत्री केजरीवाल ने सिसोदिया को उप-मुख्यमंत्री बनाया। बिहार के मुख्यमंत्री श्री नीतीश कुमार विश्वसनीय साथी की तलाश में गच्चा खा गये और श्री जीतन राम माँझी बेवफा निकल गये।
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