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Tuesday, August 29, 2017

गाली बोलने से बचना नेकी है ( Refrain to abuse is a good job)

                     लोग गालियां या तो गुस्से मे देते हैं या उनका यह तकिया कलाम होता है। अगर हमें गुस्सा कंट्रोल करना आ गया तो 'गुस्से वाली गाली' से बच सकते हैं। 

                   अल्लाह के पैगम्बर मोहम्मद स. ने गुस्सा आने पर तीन बार 'अऊजबिल्लाहि मिनश्शैतानिर्रजीम' पढ़ने की नसीहत की है ताकि गुस्सा जाता रहे। अगर गुस्सा की हालत मे खड़े हों तो बैठ जाना चाहिए। अगर बैठने से भी गुस्सा न जाए तो लेट जाना चाहिए।

                     जिनको नाॅरमल बातचीत मे भी गाली बोलने की आदत है उन्हें यह जान लेना चाहिए कि यह गुनाह वाला काम है। गाली बोलने से कभी फायदा नहीं होता बल्कि अपना नुकसान ही होता है क्योंकि हमारे गुनाह यानी पाप बढ़ते जाते हैं।

                   इसलिए हमें चाहिए कि हम हर हाल मे गाली बोलने या लिखने से बचें क्योंकि यह एक बुराई है और बुराई से बचना नेकी है।

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Wednesday, August 16, 2017

नमाज के लिए जगह दें (Provide space for Namaz / Salah)

                 जिनको अल्लाह ने इस लायक बनाया है कि वे दुकान, कम्पनी या फैक्टरी के मालिक हैं, उनसे गुजारिश है कि अपनी  दुकान, कम्पनी या फैक्टरी मे थोड़ी सी जगह नमाज पढ़ने के लिए रखें अगर कोई मस्जिद पास मे नही है।

           फर्ज नमाज के लिए अपने कर्मचारियों को थोड़ा सा वक्त भी दें। कयामत तक जितने भी लोग आप की दी सहूलियत से नमाज पढ़ेंगे, उसका सवाब आप को भी मिलता रहेगा। अपनी नेकियां बढ़ाने का यह बड़ा जरिया है। आमीन। 

             यह भी ध्यान रहे कि अगर जान बूझ कर किसी को फर्ज नमाज पढ़ने मे रूकावट डाली तो अल्लाह का अजाब भी आ सकता है।

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Sunday, July 2, 2017

दीन इस्लाम और नेक बातें (Deen Islam and Gentle Quotes)

दीन इस्लाम और नेक बातें  (Deen Islam and Gentle Quotes)


1.  हजरत अबू मूसा अश्अरी र.अ. से रिवायत है कि नबी करीम स. ने इरशाद फरमाया: जिन लोगों के साथ कोई यतीम उनके बरतन मे खाने के लिए बैठे तो शैतान उनके बरतन के करीब नहीं आता। 

( हदीस तबरानी और मजमऊज्वाईद)

२.  माँ के पैरों तले जन्नत है और बाप जन्नत का दरवाजा है। (हदीस)


3. अपना ताल्लुक अल्लाह सुब्हान व त्आला से मजबूती से जोड़ लें। यही हर मसले का हल है।


४. मस्जिद मे आगे की सफों मे जगह रहने पर भी कई लोग पीछे की सफों मे सुन्नत-नफील पढ़ने लगते हैं जिससे आगे जाना मुश्किल हो जाता है। हालाँकि आगे की सफों मे नमाज पढ़ने मे ज्यादा सवाब है। इसका खुद भी ध्यान रखें और दुसरों को भी बताऐं।

५. जिस तरह रमदान महीने मे मस्जिदें आबाद हैं उसी तरह पूरे साल आबाद कीजिए।

६. जकात, सदका, खैरात, हदिया आदि नेकी-पुण्य के काम हलाल कमाई से ही करें। सूद, रिश्वतखोरी, चोरी, बेईमानी, झूठ से कमाई खुद ही पकड़ का जरिया है। इससे बचना सबको जरूरी है।

७. शदीद गर्मी मे भी हिम्मत बनाए रखिए। फ़र्ज़ रोज़े रमदान मे पुरे  रखिये।

८. प्रत्येक 40 दिन के अन्दर बगल और जघनास्थि (शर्मगाह के आस पास) के बाल को मुंडना जरूरी है। (दीनी जानकारी)

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Wednesday, May 17, 2017

दूसरों के धर्म में अडंगा न लगायें (Don't interfere in other religion)

आजकल दूसरों के धर्म में टांग अडाना फैसन सा हो गया है. लोग अपने धर्म पर बात नहीं करते बल्कि दूसरों के धर्म पर खूब ज्ञान पेल रहे हैं. भाजपा की केंद्र सरकार को इस्लाम धर्म में तलाक, शादी, हलाला आदि नियमों में बहुत बुराइयां दिख रही है और सुप्रीम कोर्ट से उम्मीद कर रही है कि वो इन बुराइयों का खात्मा कर दे.

कई लोगों के लिए मूर्ति पूजा, लिंग पूजा, योनी पूजा, जानवर को माँ कहने की प्रथा आदि बुरी लगती है तो क्या इन्हें भी सुप्रीम कोर्ट जाकर इस पर रोक लगाने की  मांग करना चाहिए. मेरा जवाब ना में है. मैं  यह चाहता हूँ कि हिन्दू भाई अपने धर्म कि समस्याएँ खुद सुलझाए. इसी तरह मुस्लमान अपने धर्म की  समस्या खुद सुलझाएं. सिख, इसाई और पारसी अपनी धार्मिक समस्यां खुद सुलझाये.

यहाँ तो सभी को धार्मिक सवतंत्रता है. अगर आप को कोई धर्म अच्छा नहीं लगता तो आप अपना पसंदीदा धर्म अपना सकते हैं.

Sunday, April 30, 2017

इस्लाम के अनुसार मर्दों के कपडे (Cloths of Male in Islam)

इस्लाम में कपड़ों के मामले में पाबंदियां सिर्फ औरतों पर ही नहीं बल्कि मर्दों पर भी है. लेकिन कई लोगों को इसकी जानकारी नहीं है. या जानकारी होगी तो फिर यह जानकारी अमल में नहीं है. यही कारण है कि कुछ मुस्लिम मर्द भी बाजारों में हाफ पैंट या शॉर्ट्स में दिख जाते हैं या टॉपलेस (नाभि ढका न हो) दिख जाते हैं. कुछ लोग अपनी लुंगी को आधी मोड़ कर पहन लेते हैं जिससे उनका घुटना खुल जाता है.


दरअसल मर्द का सतर नाभि से लेकर घुटना तक है। इसे दुसरों के सामने हमेशा हर हाल में ढक कर रखना है । पैंट या पजामा या लुंगी का घुटनों से नीचे तक होना जरुरी है. अगर पैंट या पजामा या लुंगी ऐसा हो जिससे नाभि खुली रह जाती हो तो फिर ऊपर में गंजी, कुरता या शर्ट पहनना लाजिम है जिससे नाभि ढका रहे.

हदीसों में मर्द के लिए पैंट या पजामा या लुंगी का टखनों से नीचे तक लटकाने को भी मना किया गया है. इस लिए हमारा पैंट, पजामा या लुंगी घुटनों से नीचे हो और टखनों से ऊपर हो.


सतर का ढकना तो फर्ज है लेकिन बेहतर यह है कि हम पुरे कपडे पहनें. और हमारे कपड़ों का ढीला ढाला होना भी जरुरी है.

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(नोट: मैं आलिम नहीं हूँ. पूरी जानकारी के लिए अपने नजदीक के आलिम से संपर्क रखें)

Thursday, April 27, 2017

कुछ लाभकारी पंक्तियाँ (भाग-3) (Some Beneficial Lines part-3)

1. जो लोग अल्लाह त्आला के हुक्म की मुखालफत करते हैं उन्हें इस बात से डरना चाहिए कि उन पर कोई आफत आ जाए या उन पर कोई दर्दनाक अजाब नाजिल हो। (कुरान, सुरा नूर 63)


२. मजदूर को उसका  पसीना सूखने से पहले मजदूरी दे  दो. - पैगम्बर मोहम्मद (स.) (इब्ने माजा :२४४३)Mazdoor ko us ka paseena sookhne se pahle mazdoori de do. - Prophet Mohammad s.a.w. (Ibne Maajah : 2443)

३. हजरत अबू हुरैरा रजि. से रिवायत है कि नबी करीम स. ने इरशाद फरमाया: छोटा बड़े को सलाम करे, गुजरने वाला बैठे हुए को सलाम करे और थोड़े आदमी ज्यादा आदमियों को सलाम करें। (बुखारी 6231)


४. हजरत अबू उमामा रजि. रिवायत करते हैं कि रसूलुल्लाह स. ने इरशाद फरमाया: लोगों में अल्लाह के कुर्ब का ज्यादा मुस्तहिक वह है जो सलाम करने मे पहल करे। ( अबू दाऊद 5197)


५. अगर धन दौलत मे कामयाबी होती तो कारून और फिरऔन कामयाब हो जाता। पर अल्लाह ने इन्हें नाकाम कर दिया क्योंकि इनके अन्दर दीन नहीं था। यह लोगों की इबरत के लिए काफी है पर लोग समझते ही नहीं। अल्लाह सभी को इस बात की समझ अता फरमा।


६. जालिमों की हिदायत और बेगुनाहों की हिफाजत के लिए अल्लाह से दुआ जरूर कीजिए। आमीन।


७ . या अल्लाह, मुझे और दुनिया के सारे इन्सानों को हक बात की समझ अता फरमा और हक बात की पैरवी करने वाला बना और हक बात पर ही अमल करने वाला बना। आमीन।

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Sunday, February 5, 2017

उत्तर प्रदेश चुनाव मे AIMIM, पीस पार्टी, राष्ट्रीय उलेमा काउंसिल को वोट कीजिए (Vote for AIMIM, Peace Party and RUC in Uttar Pradesh)

उत्तर प्रदेश चुनाव मे AIMIM, पीस पार्टी, राष्ट्रीय उलेमा काउंसिल को  वोट कीजिए
Vote for AIMIM, Peace Party and RUC in Uttar Pradesh

उत्तर प्रदेश चुनाव मे AIMIM, पीस पार्टी, राष्ट्रीय उलेमा काउंसिल को थोक मे वोट कीजिए अगर यह मुकाबले मे है। आप के थोक वोट इन्हें   जीताने और मुकाबले में लाने की  ताकत रखते हैं. अगर एक बार आपके थोक वोट इन्हें मिल गए तो राजनीती करवट लेगी. फिर कोई आपको ठगेगा नहीं. सिर्फ वोट बैंक नहीं समझेगा बल्कि आपको आपका हक भी दिया जायेगा. 

जहाँ पर इन पार्टियों  के उम्मीदवार नहीं हैं, वहां  कांग्रेस को वोट कीजिए। अंतिम वरीयता पर किसी भले निर्दलीय उम्मीदवार या बसपा को रखें. 



भाजपा की फिक्र नहीं कीजिए। भाजपा को रोकने की जिम्मेदारी सिर्फ मुसलमानों की नहीं है। भाजपा की नोटबंदी नीति से मरने वाले और परेशान होने वाले सिर्फ मुसलमान तो नहीं थे।

अगर सपा चुनाव जीती तो 'मुसलमानों को भाजपा का डर' दिखाने की नीति जारी रखेगी। इसलिए भाजपा से ज्यादा सपा को हराने की जरूरत है। 


उत्तर प्रदेश के मुसलमान किस पार्टी को वोट देंगे, पढ़िए मेरा पूरा ब्लाॅग इस लिन्क पर।


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Friday, January 27, 2017

उत्तर प्रदेश चुनाव: मुसलमान असमंजस मे (Uttar Pradesh Elections: Muslims Are Confused To Vote)

उत्तर प्रदेश चुनाव: मुसलमान असमंजस मे 
(Uttar Pradesh Elections: Muslims Are Confused To Vote)

उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव २०१७ रोमांचक स्थिति में है. श्री अखिलेश यादव ने अपने पिता  श्री मुलायम सिंह यादव और चाचा श्री शिवपाल सिंह यादव को हराकर पहली बाधा पार कर ली. कांग्रेस से गठबंधन कर के श्री अखिलेश ने दूसरी बाधा भी पार कर ली है. कांग्रेस से गठबंधन के पहले स्थिति साफ़ नहीं थी कि मुकाबला किसके बीच में है. अब यह बात साफ़ हो गई है कि मुकाबला त्रिकोणीय होगा, बाज़ी कौन मारेगा , वोटों की  गिनती के बाद ही पता चलेगा. नोटबंदी की  मार झेल रही जनता भाजपा को तीसरे स्थान पर भेज सकती है. सुश्री मायावती की  बसपा पहले नंबर पर आती है या सपा-कांग्रेस गठबंधन, कुछ कहा नहीं जा सकता. श्री असदुद्दीन ओवैसी की  पार्टी “ऐमिम’’(AIMIM) कुछ सीटें प्राप्त कर उत्तर प्रदेश मे अपनी  उपस्थिति पांचवीं पार्टी के रूप में दर्ज करा सकती है.


   मेरे विचार में  कांग्रेस ने सपा से गठबंधन करके गलती की है. कांग्रेस और राहुल गाँधी ने जिस ढंग से  उत्तर प्रदेश चुनाव अभियान की  शुरुआत की  थी, जनता में अच्छा सन्देश गया था. इस गठबंधन से वह सन्देश जाता रहा है. अगर गठबंधन भी करना था तो बसपा से करना चाहिए था क्योंकि सपा के खिलाफ सत्ता विरोधी लहर (Ante Incumbency Factor) भी काम कर सकती है. बसपा और कांग्रेस के साथ अगर ‘ऐमिम’ भी आ जाती तो इस गठबंधन को हराना दूसरों के लिए काफी मुश्किल था क्योंकि  आजकल उत्तर प्रदेश के अधिकांश मुसलमानों का झुकाव इस पार्टी की  तरफ हुआ है.

बसपा और ऐमिम की  संभावित गठबंधन की अफवाह कई बार उड़ चुकी है पर ऐसा न हो सका. सूत्र बताते हैं कि इसके लिए मायावती ही जिम्मेदार है. उन्हें लगता है कि अगर एक बार इनसे गठबंधन हो गया तो श्री ओवैसी मुसलमानों के निर्विवाद नेता हो जायेंगे जिस तरह वह खुद दलितों की  है और भविष्य में हमेशा मुसलमानों के वोट के लिए ओवैसी पर आश्रित रहना पड़ेगा. लेकिन इस बार अगर मुसलमानों के अधिकांश वोट ऐमिम को चला गया तो मायावती के सामने ५ साल के लिए पश्चाताप करने के सिवा कुछ न मिलेगा. मायावती पूर्व मे भाजपा से मिलकर सरकार  बना चुकी हैं और भविष्य मे वह ऐसा नहीं करेगी, इसका वादा वह नहीं करतीं. हालाँकि मायावती ने इस बार टिकट  बाँटने में मुसलमानों को तरजीह दिया है फिर भी वह मुसलमानों के लिए संदिग्ध हैं. वैसे मायावती के शासन में जो उत्तर प्रदेश की  कानून व्यवस्था थी वह अखिलेश शासन से तो बेहतर ही कही जा सकती है.

आज से पहले, उत्तर प्रदेश में मुसलमानों के वोट कांग्रेस, सपा और बसपा में बंटती रही है. कांग्रेस और ऐमिम का गठबंधन पूर्व में आंध्र प्रदेश में रहा है है पर आज यह मुश्किल इसलिए दिखता है कि दोनों एक दुसरे पर ‘बयानों’ के हमले कर रहे हैं ताकि मुसलमानों के वोट उनको मिले.

मुज़फ्फरनगर आदि दंगों और कानून व्यवस्था को लेकर सपा से उत्तर प्रदेश के मुसलमान काफी नाराज हैं. मुसलमानों के लिए आरक्षण का वादा भी अखिलेश ने पूरा नहीं किया. इस बार तो आरक्षण का वादा भी नहीं किये. ऐसा लगता है कि सपा भी अब भाजपा कि नीतियों का अनुसरण कर रही है.

उत्तर प्रदेश  के मुसलमानों का  एक धड़ा  ‘ऐमिम’ से इस बात पर नाराज है कि उसने उत्तर प्रदेश में पूर्व से मुस्लिम हितों के लिए काम कर रही  पार्टी पीस पार्टी, राष्ट्रीय  उलेमा कौंसिल और कौमी एकता दल की अनदेखी की है और आपसी गठबंधन के लिए कोई प्रयास नहीं किया.


कुल मिलाकर उत्तर प्रदेश का मुसलमान असमंजस की  स्थिति में है कि वोट किसे दें और किसे न दें.

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