इस्लाम के खिलाफ दुष्प्रचार नया नही है. यह तभी से है जब से इसका उदय हुआ है. इस्लाम और अल्लाह (ईश्वर/ भगवान / गॉड ...) के आखिरी पैगंबर हजरत मोहम्मद (सल्ललल्लाहो अलैहि वसल्लम) का विरोध और इनके खिलाफ दुष्प्रचार उसी वक़्त से शुरु हो गया था जब उनके एक भी फॉलोवर नही थे. लेकिन अल्लाह की चाहत और इस्लाम के सच की वजह से यह पूरी दुनिया मे फैल गया.
लेकिन यह दुष्प्रचार आज भी बंद नही हुआ है और रोज के रोज यह दिखाई या सुनाई दे जाता है. सबसे बड़ा दुष्प्रचार अमेरिका पर तथाकथित अलक़ायदा के हमले के बाद हुआ. इस सबसे बड़े दुष्प्रचार का असर यह हुआ कि लोगों को इस्लाम के बारे मे जानने की उत्सुकता हुई और क़ुरान की डिमांड अचानक बढ गयी. क़ुरान के अध्ययन ने लोगों के दिल खोल दिये और भारी संख्या मे इस्लाम क़ुबूल किये.
आज इस्लाम के खिलाफ दुष्प्रचार के लिये सबसे ज्यादा उपयोग इंटरनेट और मीडिया का हो रहा है. इस दुष्प्रचार के बावजूद अमेरिका, यूरॉप, एशिया सहित पूरी दुनिया मे लोग इस्लाम को अपना रहे हैं तो इसकी ठोस वजह इस्लाम का सच है जो दुष्प्रचार के बावजूद भी प्रभावित नही हो पा रहा.
दुष्प्रचार की हक़ीक़त जानने के लिये दिये गये लिंक पर विज़िट किया जा सकता है:
इस्लाम के खिलाफ कोई भी दुष्प्रचार अगर आपके दिमाग पर असर कर रहा हो तो निम्नलिखित उपायों से इससे बचा जा सकता है:
1. दुष्प्रचार के बिंदु पर किसी नजदीकी आलिम, मुफ़्ती, मस्जिद के इमाम या जानकार और परहेजगार मुस्लिम से बात करें.
2. क़ुरान और हदीस का अध्ययन करें.
3. अफवाह फैलाने वालों से दूरी बनाएं.
4. जटिल मसलों पर राय जानने के लिये प्रसिद्ध इस्लामिक संस्थानों से संपर्क करें. जैसे यू पी मे दारुल उलूम देवबन्द, बिहार मे इमारत-ए-शरिया, फुलवरीशरीफ़ पटना, मुम्बई मे आइ. आर. एफ. आदि.
5. डा. ज़ाकिर नायक और उनका पीस टी वी भी दुष्प्रचार को रोकने मे अहम भूमिका निभा रहे हैं.
6. यह बात जान लें कि जिस तरह हिन्दू नाम वाले कुछ लोगों के बुरे कर्म से हिन्दू धर्म बुरा नही होता उसी ढंग से मुस्लिम नाम वाले कुछ लोगों के बुरे कर्म से इस्लाम बुरा नही होता.
7. हर इंसान अपने बुरे कर्मों के लिये स्वयं जिम्मेवार है और उसकी सजा उसे जरूर मिलेगी, अगर दुनिया मे नही तो आखिरत मे.
8. धर्म की गलत शिक्षा धारण किये लोगों को सही और सच्चे आलिम तक पहुंचाने की कोशिश करें.
9. कोई भी धर्म किसी बुराई की शिक्षा नही देता और न ही अवैध हिंसा की.
10. किसी भी बेगुनाह को किसी भी ढंग से नुकसान पहुंचाना इस्लाम की नीतियों के खिलाफ है.
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