हर आस्तिक इंसान अपने धर्म की रीति रिवाज़ों के मुताबिक सर्व शक्तिमान ईश्वर से प्रार्थना करता है. कुछ की प्रार्थनाएं स्वीकार होती है जबकि कुछ की नही. जिनकी प्रार्थनाएं स्वीकार नही होती, उनको अपने कार्यों पर संजीदगी से विचार विमर्श की जरूरत होती है कि क्या उनके अधिकांश कार्य ईश्वर की इच्छाओं के विरुद्ध हैं या कोई और वजह है. जिनकी प्रार्थना स्वीकार कर ली जाती है उन्हे भी एक बार इस ओर जरूर ध्यान देना चाहिये कि उनकी की गई प्रार्थना कही ईश्वर के नियमों के विरुद्ध तो नही.
हर इंसान निम्नलिखित बातों का ख्याल करे ताकि उसकी ज़ायज़ प्रार्थना स्वीकार हो सके:
1. सिर्फ और सिर्फ एक ईश्वर से होने का यकीन को पुख्ता करे. ईश्वर के अलावे किसी से भी कुछ भी न होने का यकीन को मजबूती दे. ईश्वर का मार्ग ही सफलता का मार्ग है और ईश्वर के अलावे जो भी मार्ग हैं, वो सारे असफलता के मार्ग हैं.
2. ईश्वर के सही मार्ग की खोज करें ताकि ईश्वर के मार्ग पर चला जा सके. इसके लिये धार्मिक पुस्तकों और धार्मिक गुरुओं की मदद लें. क़ुरान, बाइबल, इंजील, वेद आदि का अध्ययन अपनी मातृभाषा मे करें.
3. कोई भी ऐसी प्रार्थना न मांगे जो ईश्वर की नज़र मे अवैध या बुराई की श्रेणी मे आता है जैसे चोरी, डकैती या भ्रष्टाचार आदि के कामों मे सफलता के लिये प्रार्थना करना.
4. अगर किसी बुरे काम मे सफलता मिले तो समझ लें कि ईश्वर आप से नाराज़ है और इसकी बड़ी सजा कभी भी मिल सकती है.
5. ऐसे बुरे काम को जल्द से जल्द त्याग दें और प्रार्थना मे पश्चाताप करें.
6. ईश्वर से खुद के लिये तो मांगे ही, पूरी दुनिया के इंसानों के लिये भी प्रार्थना करें.
7. हर प्रार्थना मे पूरी दुनिया मे चैन, सुकून, शान्ति और समृद्धि की प्रार्थना भी करें.
8. दुनिया के हर देश मे न्याय का शासन हो, इसकी प्रार्थना भी करें.
9. दुनिया के किसी भी इंसान पर ज़ुल्म न हो, इसकी प्रार्थना भी करें.
10. अपने अंदर झांक कर अपनी बुराइयां तुरंत त्याग दें और प्रार्थना मे पश्चाताप करें और आगे बुराई न करने की कसम खाएं.
11. कोई भी तकलीफ या परेशानी पेश आये तो ईश्वर का ध्यान करें और ईश्वर से मदद माँगें.
अगर हम सिर्फ और सिर्फ नेक कार्य करेंगे, हर बुराई से दूर रहेंगे, सच और हक बात की दावत दूसरों तक पहुंचाएंगे, दूसरों को बुराई से रुकने की दावत देंगे तो हमारी हर ज़ायज़ प्रार्थना जरूर स्वीकार की जायेगी अगर ईश्वर ने चाहा तो.
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