एक हदीस का माफ़ुम है कि जिसके हराम का खाना खाने से बचें पेट मे हराम का एक लुकमा भी चला गया उसकी 40 दिन तक कोई इबादत कुबूल नही होगी. इसलिये अगर हम ढेर सारी इबादतें करते हैं, पाँचों वक़्त नमाज़ भी पढ़ते हैं, रोज़ा भी रखते हैं और बाकी सारे इबादत भी करते हैं लेकिन हमारी जायज़ दुआ कुबूल नही हो रही है तो अपनी कमाई के ज़रिये पर जरूर गौर फरमायें.
हमारी कमाई बिल्कुल हलाल तरीके से कमाई की गई होनी चाहिये. चोरी, डकैती, छिंतई, बेईमानी, रिश्वतखोरी, जमाखोरी, सूदखोरी, जुआ, वेश्यावृति आदि कमाई के हराम तरीके हैं और हमे हर हाल मे इन बुराइयों से बचना चाहिये. अगर हम हराम कमाई से न बचें तो हमारा एक लुकमा क्या, पूरा खाना ही हराम होगा. और अगर हम डेली हराम खाने वाले बनेंगे तो न हमारी इबादत कुबूल होगी और न ही हमारी दुआएँ.
इसलिये हर इंसान अपने इबादत और अच्छे आमाल के साथ ही अपने इनकम पर ध्यान रखे. पूरी कोशिश करे कि उसके इनकम मे हराम का एक पैसा भी शामिल न हो और अगर किसी भूलवश या कुछ तकनीकी दिक्कतों की वजह सेहराम का इनकम आ जाये तो जल्द से जल्द उस हराम वाले इनकम को किसी गरीब या जरूरतमंद को बिना सवाब की नियत से दे दें.
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