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Monday, February 17, 2014

राहुल से प्रेम करो देश प्रेमियों


यह निर्विवाद रूप से सत्य है कि मीडिया मे और इंटरनेट पर भाजपा के समर्थक सबसे ज्यादा हैं. यही वजह है कि इंटरनेट और मीडिया द्वारा होनेवाले लगभग सभी सर्वे मे भाजपा को आगे दिखाया जाता है. लेकिन जब बात वास्तविक वोट की आती है तो यह सर्वे कहीं नही टिकता है. इससे साफ ज़ाहिर होता है कि आम जनता जो गरीब है, कम पढी लिखी है, दलित है, आदिवासी है, पिछड़ा है, अल्पसंख्यक है, भाजपा के खिलाफ है. यह आम जनता और भारतीय लोकतंत्र की जीत ही है कि इतना कुछ गुमराह किये जाने के बाद भी अधिकांश जनता गुमराह होने से बच जाती है और अपने वास्तविक शुभचिंतक को वोट करती है.

       मीडिया और इंटेर्नेटकर्मी के भेदभाव का मैं कुछ उदाहरण सामने रखना चाहता हूँ:
1. पिछले 1-2 सालों के नरेन्द्र मोदी और राहुल गाँधी के भाषणों को सुनें तो यह साबित होता है कि राहुल के ज्ञान के आगे मोदी कहीं नही टिकते हैं पर मजाक ज्यादा राहुल का उड़ाया जाता है.
2. अभी पार्टियों ने लोकसभा के उम्मीदवार भी जारी नही किये हैं पर मीडिया बार बार सर्वे जारी कर भाजपा को आगे बता रही है.
3. नरेन्द्र मोदी के हर भाषण का लाइव प्रसारण दिखाया जा रहा है.
4. मीडिया और इंटरनेट पर सबसे ज्यादा जगह मोदी और भाजपा को दिया जा रहा है.
5. कांग्रेस, वामपंथी पार्टियाँ और भाजपा विरोधी क्षेत्रीय पार्टियों के अच्छे कामों की चर्चा नही हो रही है.
  
     चूंकि मैने इस ब्लॉग का शीर्षक 'राहुल से प्रेम करो देश प्रेमियों' रखा है, इसलिये कुछ चर्चा राहुल गाँधी की अच्छाइयों पर भी कर लें.
1. राहुल गाँधी अन्य नेताओं की तरह फेंकते नही हैं, जो कहते हैं वही करते हैं और जो करते हैं, वही कहते हैं.
2. राहुल गाँधी अभिव्यक्ति की आजादी का समर्थन करते हैं, विरोधियों को भी सम्मान देते हैं, इज्जत से बात करते हैं.
3. बड़े फैसले लेने मे खुद सक्षम हैं जबकि भाजपा के नेता आर. एस. एस. पर निर्भर हैं.
4. राहुल गाँधी दिल के सच्चे और भोले हैं, कभी भी किसी का बुरा नही चाहते.
5. राहुल गाँधी को कुछ लोग 'पप्पू' कहकर (मैं इससे असहमत हूँ) मजाक उड़ाते हैं पर मेरा मानना है कि अगर पप्पू जनता के शुभचिंतक है तो ज्ञानी अशुभचिंतक नेताओं से बेहतर हैं.
6. राहुल युवा शक्ति के प्रतीक हैं, ये देश का काफी भला कर सकते हैं.
7. राहुल का ऐसा मानना नही है कि जो राहुल या कांग्रेस का समर्थन करे वही देश भक्त है और बाकी के गद्दार हैं. वह जनता के विचारों को सम्मान देते हैं चाहे वह विचार उनके समर्थन मे हो या खिलाफ मे.
    इसलिये मेरे विचार से हर भारतीय को राहुल गाँधी से प्रेम करना चाहिये, उनका समर्थन करना चाहिये क्योंकि राहुल गाँधी सर्वगुण संपन्न नेता हैं, भारत का भला चाहते हैं, हर भारतीय का भला चाहते हैं.

सेवानिवृत्त अफसर को राजनीति मे आने पर प्रतिबंध हो


आजकल हर कोई राजनीति मे आना चाहता है. वजह साफ है कि हर कोई राजनीति मे क्यों आना चाहता है. राजनेताओं को मिलनेवाली सुख सुविधाएं ही हर क्षेत्र के लोगों को राजनीति की ओर आकर्षित करती है. अगर राजनेताओं को मिलनेवाली सुख सुविधाएं सामान्य कर दी जाये तो लालची लोगों का राजनीति से मोहभंग होने लगेगा और निःस्वार्थ भाव वाले नेताओं को जगह मिलेगी. इसलिये मैं चाहता हूँ कि नेताओं को मिलने वाली सुख सुविधाएं कम से कम की जाये इतना कम कि उनका गुजIरा हो सके.

        दयनीय स्थिति तो तब देखने को मिलती है जब सरकारी बड़े बड़े अफसर भी सेवानिवृति के बाद राजनीति मे आना चाहते हैं. मतलब कि नौकरी मे रहते हुये तो ऐश मौज करते ही हैं पर नौकरी के बाद भी वे इसे त्यागना नही चाहते हैं. अगर वे सच्चे और निःस्वार्थ भाव से राजनीति मे आते तब तो देश के लिये यह फायदे की बात थी पर ऐसा नही होता. रिटाइयर्मेंट से पहले ही ये अफसर अपने इमान को बेचकर किसी पार्टी के लिये काम करने लगते हैं और राजनीतिक बयानबाज़ी शुरु कर देते हैं. इससे देश को नुकसान होता है, सच्चाई की हार होती है और झूठ जीतता है क्योंकि ये किसी पार्टी के पक्ष मे काम करने लगते हैं.

  हमारे पास दो ताजा उदाहरण हैं पूर्व सेनाध्यक्ष वी. के. सिंह का और वर्तमान सीबीआई चीफ रंजीत सिन्हा का. पूर्व सेनाध्यक्ष वी. के. सिंह रिटाइयर्मेंट के पहले ही राजनीतिक बयानबाज़ी शुरु कर दिये थे और कांग्रेस को कोसना शुरु कर दिया था. कल राजनीतिक बयानबाज़ी किया वर्तमान सीबीआई चीफ रंजीत सिन्हा ने. वे भविष्यवाणी कर रहे हैं कि अगर वे ऐसा करते तो ऐसा होता. उनके इस बयान की भाजपा के ईमानदार लोग भी निन्दा करते होंगे. उनका काम ईमानदारी और निष्पक्ष भाव से काम करने का है न कि भविष्यवाणी करने का. ज़ाहिर सी बात है कि उनके दिल मे चोर है और रिटाइयर्मेंट के बाद भाजपा से जुड़कर कुछ अच्छे पोस्ट की लालसा है.

    ऐसे ही कई उदाहरण पहले भी देखने को मिल चुके हैं. कुछ ने कांग्रेस के पक्ष मे काम किया कुछ ने भाजपा के और कुछ ने दूसरे दलों के पक्ष मे. इसलिये चुनाव आयोग से मेरा आग्रह है कि सेवानिवृत अफ़सरों को चुनाव लड़ने से रोकें ताकि ये नौकरी के दौरान राजनीतिक महत्वकांक्षा मे किसी पार्टी के पक्ष मे काम न करें.

Wednesday, February 12, 2014

वीणा मलिक का हृदय परिवर्तन

पाकिस्तानी अभिनेत्री वीणा मलिक जो पाकिस्तान, हिन्दुस्तान और पूरे विश्व मे अपनी गंदी हरकतों से कुख्यात थी, अचानक बदल चुकी हैं. कहिये कि इनका हृदय परिवर्तन हो चुका है. अब ये न तो कम कपड़ों मे नजर आयेंगी न ही चुंबन मे रेकॉर्ड बनाने जैसी बेहूदा हरकतें करेंगी और न ही फिल्मों मे बेहूदा किरदार का रोल अदा करेंगी.
      यह सुनने मे तो आसानी से यकीन नही होता पर इसे सच कर दिखाया है पाकिस्तान के बेहद लोकप्रिय आलीमे दीन मौलाना तारीक जमील साहब ने. मौलाना साहब ने 2 वर्ष पहले वीणा की उलूल जुलूल हरकतों के बारे मे सुना था तभी से वे अल्लाह से दुआ कर रहे थे कि या अल्लाह, वीणा को जल्द से जल्द हिदायत दे. वीणा भी किसी की बेटी है, बहन है और सबकी बदनामी हो रही है, इसे जल्द से जल्द हिदायत दे. मौलाना साहब की दुआओं का असर हुआ और अल्लाह ने उनकी सुन ली और वीणा नई वीणा मलिक बन गई.
     
करीब एक महीने पहले ही वीणा की शादी दुबई मे एक असद खान नाम के व्यक्ति से हुई. उस वक्त मौलाना साहब भी दुबई मे मौजूद थे. मौलाना साहब ने अपने चेलों के माध्यम से वीणा मलिक से पहली मुलाकात की. अच्छाई की दावत के साथ साथ डिन्नर भी दिया. फिर 3 मुलाकातें और की और रिज़ल्ट सामने आ गया.  वीणा बताती हैं कि मौलाना साहब ने वीणा की कभी कोई बुराई नही की और उसे अपनी बेटी कहकर पुकारा. मौलाना साहब ने सिर्फ अच्छाई क्या है, यह बातें बताई. अल्लाह और ईश्वर अपने बंदे से क्या चाहता है, यह बातें बताई. मौलाना तारीक जमील साहब से वीणा काफी प्रभावित हुई और फिर खुद ही वीणा ने उनको वादा दिया कि उनकी यह रूहानी बेटी अब कोई और गलत काम नही करेगी. वीणा मौलाना साहब को अपना रूहानी बाप बताती हैं और मौलाना साहब वीणा को रूहानी बेटी. वीणा मौलाना साहब से इतनी प्रभावित हुई हैं कि वह अब इस्लामिक स्टडीज़ मे पी. एच. डी. भी करना चाहती है.
     मौलाना तारीक जमील साहब ने पाकिस्तान के कई गायकों और क्रिकेटरों की जिंदगी भी तब्दील की है. ये पूरे विश्व मे घूम घूम कर शान्ति, अहिंसा, अच्छाई की दावत देते हैं और लोगों को बुराई से दूर रहने की गुजारिश करते हैं.
    
    मौलाना साहब आतंकवाद का कड़ा विरोध करते हैं और बताते हैं कि इस्लाम मे निर्दोष लोगों की जान लेना बिल्कुल हराम है और बड़े गुनाहों मे शामिल है. ये शिक्षा के बड़े हिमायती है और अक्सर लोगों से पूर्ण शिक्षित होने की अपील करते हैं.
हाल ही मे वीणा मलिक और मौलाना तारीक जमील से लिये गये साक्षात्कार को इस लिंक पर जाकर देख सकते हैं :
 http://www.youtube.com/watch?v=SKrnUMeFBT4



वामपंथी पार्टियों को मौका दें

हर चुनाव मे भ्रष्टाचार एक अहम मुद्दा होता है. हर पार्टी इस मुद्दे पर वोट मांगती है. 'आप' का सबसे बड़ा और अहम मुद्दा भी यही है. 'आप' को इस मुद्दे ने कुछ महीने की मेहनत से एक राज्य की सत्ता सौंप दी.
    
       भ्रष्टाचार तो हर पार्टी मे है, किसी मे कम, किसी मे ज्यादा. भाजपा और कांग्रेस के कई नेता भ्रस्टाचार मे लिप्त पाये गये हैं. भ्रष्टाचारमुक्त का दावा करनेवाली 'आप' पार्टी के लोग भी दिल्ली चुनाव से पहले स्टिंग ऑपरेशन मे पकड़े गये. अगर वह स्टिंग ऑपरेशन चुनाव से पहले न आता तो संभव था की 'आप' दो तिहाई बहुमत से चुनाव जीतती.
   
     अगर भ्रष्टाचार किसी पार्टी मे सबसे कम है तो वह है वामपंथी पार्टियाँ माकपा और भाकपा. इस बात से न सिर्फ अधिकांश जनता सहमत है बल्कि प्रतिद्वंद्वी पार्टियाँ भी इससे इंकार नही कर सकती.
    
      बहुत सारी और भी बातें हैं जिनमे पलड़ा वामपंथी पार्टियों का भारी रहता है. पेश है कुछ उदाहरण:
1. सही मे आम आदमी की पार्टी वामपंथी पार्टियाँ हैं.
2. गरीबों और वंचितों के हक की लड़ाई सबसे ज्यादा यही पार्टियाँ लडती हैं.
3. जुझारू आन्दोलन इनकी होती है पर मीडिया का सपोर्ट न मिलने की वजह से क्रेडिट दूसरे लोग ले जाते हैं.
4. विकास का काम भी खूब करती हैं. केरल को सबसे विकसित राज्य बनाने मे इनका महत्वपूर्ण योगदान है.
5. पूंजीवाद और जमाखोरी के यह कट्टर विरोधी हैं.
6. शान्ति और अहिंसा के प्रबल समर्थक हैं.
7. साम्प्रदायिकता का सबसे ज्यादा विरोध यह करते हैं.
8. सामाजिक न्याय मे सबसे ज्यादा विश्वास यह करते हैं.
9. ढोंग, ढकोसला, नौटंकी मे यह यकीन नही रखते.
10. मेहनत और पसीने की कमाई मे यकीन रखते हैं.
        जब इतनी सकारात्मक चीजें वामपंथी पार्टियों के साथ है तो हम एक बार केन्द्र के लिये इन्हे क्यों मौका न दें. अगर सरकार नही भी बनी तो ज्यादा से ज्यादा सीटें जितने पर भी देश का भला होगा. जहां से यह जितने की हालत मे हैं वहां इन्हे वोट कर हम अपना हक तो अदा कर ही सकते हैं.

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