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Monday, June 1, 2015

कुछ लाभकारी पंक्तियाँ (भाग-2) (some beneficial lines part-2)

1.

आता नहीं बयाँ करना,
'खुर्शीद' को अपना गम.
दुनिया समझती है,
खुशनसीब बहुत.



(Aata nahin bayan karna,
'Khurshid' ko apna gam.
 Duniya samajhti hai,
 Khushnasib bahut.)


2.

मुहब्बत की है उस से जो कभी दगा नही देता .
खुदा बावफ़ा था, बावफ़ा है और बावफ़ा ही रहेगा.



(Muhabbat ki hai us se jo Kabhi nahi deta daga.
Khuda Baawafa tha, Baawafa hai aur Baawafa hi Rahega.)


3.

हक़ पर चलता गया.
दुश्मन बढ़ता गया.
सबसे लड़ता गया.
अल्लाह मदद करता गया.



(Haq par chalta gaya.
Dushman badhta gaya.
Sabse ladta gaya.
Allah madad karata gaya.)


4.

सत्य का 'नहीं',
असत्य के 'हाँ' से बेहतर है.



(To say 'No' of Truth,
Is better than 'Yes' of lie.)

Wednesday, May 20, 2015

कुछ लाभकारी पंक्तियाँ (भाग-१) (some beneficial lines part-1)

1.

नास्तिक भी आस्तिक हो गया, कुछ ज़लज़लों को देखकर.
डर गया  'खुर्शीद' भी,    क़यामत का    मंज़र सोंचकर.

2.

फरिश्ते दुआ करते हैं, 'खुर्शीद' के लिए,
क्योंकि 'खुर्शीद' दुआ करता है, आप के लिए.
आप दुआ करें, 'खुर्शीद' के लिए,
फरिश्ते दुआ करेंगे, आप के लिए.



3.

सूरज, चान्द, सितारे,
सब अल्लाह का हुक़्म मानें.



Thursday, March 26, 2015

क्या SP और BJP के बीच सांठ-गांठ है? (Is any hidden alliance between SP and BJP?)

समाजवादी पार्टी और भारतीय जनता पार्टी के बीच सांठ-गांठ के आरोप कई बार पढ़ चुका हूँ लेकिन मुझे यकीन कभी नहीं हुआ और अधिकांश लोग भी यकीन नहीं करते होंगे। कारण साफ है कि खुले में दोनों पार्टियां एक दूसरे की घोर विरोधी हैं। जहां भारतीय जनता पार्टी के नेता और समर्थक बाबरी मस्जिद विध्वंस के आरोपी बने, वहीं समाजवादी पार्टी के मुखिया मुलायम सिंह यादव ने बाबरी मस्जिद की सुरक्षा के लिये तथाकथित 'रामभक्तों' पर गोलियां चलवाईं। जहां भारतीय जनता पार्टी मुसलमानों को दिये 5% आरक्षण भी छीन लेती है, वहीं समाजवादी पार्टी मुसलमानों को 18% आरक्षण देने की बात करती है (यह अलग बात है कि देती 1% भी नही है)।

 
भारतीय जनता पार्टी जहां पूंजीपतियों और स्वर्ण लोगों की पक्षधर मानी जाती है, वहीं समाजवादी पार्टी गरीबों और पिछड़ी जाति की समर्थक मानी जाती है। कहने का तात्पर्य यह है कि दोनों को सिद्धांततः घोर विरोधी माना जाता है।
 
हालांकि आजकल की परिस्थितियों के मद्देनज़र इनके घोर विरोधी होने में मुझे भी शक होने लगा है और ऐसा प्रतीत होने लगा है कि अंदर ही अंदर इनके बीच सांठ-गांठ है। कुछ उदाहरण देखिए:
 
1. मुजफ्फरनगर दंगों पर कई दिनों तक काबू नहीं पाया गया। इतने बड़े प्रदेश की पुलिस के पास इतने संसाधन तो जरूर हैं कि किसी एक शहर मे दंगा होने पर तुरंत काबू पा सकें लेकिन या तो इच्छाशक्ति की कमी रही या राजनीतिक साजिश यानी नुकसान होने के बाद मुआवजा देकर मसीहा बनने का ढोंग।
 
2. उत्तर प्रदेश के कई शहरों में कुछ साम्प्रदायिक नेता खुलेआम भड़काऊ और नफरत फैलाने वाले भाषण दे रहे हैं। ये भाषण मीडिया की सुर्खियां बन रहे हैं। ज़ाहिर सी बात है कि ऐसी सभाओं में पुलिस अधिकारी भी मौजूद रहते होंगे पर कार्रवाई किसी पर नहीं हो रही।
 
3. बाबरी मस्जिद विध्वंस के समय मुख्यमंत्री रहे श्री कल्याण सिंह से पूर्व में समझौता कर अपनी खुली नीतियों मे संदेह तो समाजवादी पार्टी ने पहले ही पैदा कर दिया था।
 
4. हाल में मुलायम सिंह यादव ने अपने पोते की शादी मे प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी को बुलाकर इनसे घालमेल की संभावना को मजबूती दी है।
 
5. हिंदूवादी संगठनों के दबाव में आकर ऑल इंडिया मसलिस-ए-इत्तेहादुल मुस्लिमीन (एआईएमआईएम) प्रमुख असदुद्दीन ओवैसी को 29 मार्च को आगरा में बैठक करने की इजाजत नहीं दी गई। नवभारत टाइम्स का यह समाचार भी देखें :
 
6. धर्म परिवर्तन और घर वापसी के नाम पर सबसे ज्यादा अफरा-तफरी का माहौल उत्तर प्रदेश में ही रहा।
 
 
नोट : लेखक के सभी ब्लॉग पोस्ट पढ़ने के लिए लिंक http://mka-mka.blogspot.com/ पर जाएं।

Monday, March 9, 2015

खुद को अच्छे कार्यों मे व्यस्त रखें (Make busy yourself in good works)

हर इंसान के साथ एक शैतान लगा रहता है जो कि इंसान को बुराइयों के लिये उकसाता है. जो इंसान शैतान को अपने वश मे नही कर पाया वह इंसान शैतान के वश मे हो जाता है और बुराइयों की ओर अग्रसर होता रहता है. जो इंसान शैतान पर काबू कर लेता है वह बुराइयों से बचा रहता है और अच्छाइयों पर अमल करता है.

कहते हैं कि खाली वक्त और खाली घर शैतान का होता है. इसलिये हमे चाहिये कि एकांत से बचें और खुद को अच्छे कार्य मे हमेशा व्यस्त रखें. अपनी 24 घंटे की जिंदगी को अगर हम ईश्वरीय आदेश के अनुसार व्यतीत करेंगे तो बुराई की गुंजाइश ही नही रहेगी. खुद को अच्छे कार्य मे व्यस्त रखने के लिये नीचे दिये गये टिप्स को अपनाकर देखें.

1. सूर्योदय के पूर्व जागने की कोशिश करें. अपने अपने धर्म के अनुसार ईश्वर को याद करें. घर मे मौजूद माता-पिता, भाई-बहन, पति-पत्नी आदि सभी का अभिवादन करें. नित्य क्रिया से फारिग होकर कुछ वक़्त नमाज़, योगा आदि पर दें. दूसरे व्यायाम भी किये जा सकते हैं.

2. परिवार के सभी सदस्य साथ बैठ कर नाश्ता करने की कोशिश करें. नाश्ते मे फलाहार को भी शामिल करें. जो सदस्य ड्यूटी या अध्ययन के लिये बाहर जाते हैं और लंच ब्रेक मे घर नही आते, वे अपना टिफिन पॅक कर लें.

3. अपनी ड्यूटी पूरी ईमानदारी से निभायें. साथियों के साथ गप्पेबाज़ी या और कोई अनुचित कार्य से बचें. छात्र अपना ध्यान अध्ययन पर केन्द्रित करें और अध्यापक की बात पूरे गौर से सुनें.

4. ड्यूटी और अध्ययन के बाद शाम मे अक्सर हमे खाली वक़्त मिलता है जिसका सदुपयोग बहुत जरूरी है. इस वक्त को खेल-कूद, सामाजिक और भलाई के कार्यों मे प्रयोग किया जा सकता है.

5. रात्रि मे जल्द खाने और जल्द सोने का नियम बनाएं. जल्द सोने से सुबह मे जल्दी जागने मे आसानी होगी. अगर शादी-शुदा हैं तो सोने से पहले पति-पत्नी एक दूसरे का हक अदा करें और एक दूसरे को संतुष्ट करें.

6. 24 घंटे मे जो भी खाली वक़्त मिले उसे किसी नेक कार्य मे लगाएं. ईश्वर की महिमा का गुणगान भी नेक कार्य मे शामिल है.

7. अकेलापन से बचने का प्रयास करें. ज्यादा से ज्यादा समय अपने परिवार के सदस्यों के साथ बिताने की कोशिश करें. किसी अजनबी से अकेले मे न मिलें. देर रात्रि अगर घर से बाहर जाना जरूरी हो तो घर के एक और सदस्य को साथ लें.

8. अपने घर मे मित्रों की पहुंच अपने गेस्ट रूम या बरामदे रूम तक ही रखें. इसी तरह अगर आप भी अपने मित्र के घर जाएं तो अपनी पहुंच को यहीं तक रखें.

9. व्यभिचार (शादी पूर्व या पति-पत्नी के अलावा किसी दूसरे से शारीरिक सम्बंध) को हर धर्म मे बहुत बड़ा पाप बताया गया है. खुद भी इस बुराई से दूर रहें और दूसरों को भी इस बुराई से दूर रहने को प्रेरित करें.

10. पुण्य और दान के कार्यों मे बढ़चढ़ कर हिस्सा लें.

11. धार्मिक किताबें और महापुरुषों की जीवनियाँ खूब पढ़ें.


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Wednesday, March 4, 2015

आप, हम और तुम (AAP, HAM And TUM)

दिल्ली विधानसभा चुनाव में 'आप' की अप्रत्याशित सफलता से प्रेरित होकर बिहार के पूर्व मुख्यमंत्री श्री जीतन राम माँझी और उनके समर्थकों ने 'हम' (हिन्दुस्तानी आवाम मोर्चा) नाम की पार्टी बना ली। श्री माँझी और उनके समर्थकों को पूरी उम्मीद होगी कि ऐसा नाम रखने से उन्हें बिहार में भी वही सफलता मिलेगी जो सफलता दिल्ली में 'आप' को मिली है। अगर उनकी उम्मीद सही साबित हुई तो फिर ऐसे पार्टी नामों की झड़ी लग जायेगी जिनके संक्षेप 'तुम', 'वह', 'लोग' आदि शब्द बनते हों।

 

'आप' कहीं 'तुम' न बन जाये?

कुछ दिनों से प्रशांत भूषण और योगेन्द्र यादव की जो खबरें आ रही है, उससे लगता है कि 'आप' मे कुछ गडबड है। दिल्ली के मुख्यमंत्री श्री अरविन्द केजरीवाल ने अपने कार्यकर्ताओं को अप्रत्याशित जीत से उत्साहित होकर घमंड न करने की सलाह दी थी लेकिन लगता है कि सबसे ज्यादा घमंड उन्हीं में आ गया है। अगर श्री केजरीवाल के समर्थक प्रशांत भूषण और योगेन्द्र यादव को हाशिये पर ले जाने की कोशिश कर रहे हैं तो उनका मौन समर्थन जरूर होगा। अगर श्री केजरीवाल यह समझते हैं कि दिल्ली की जनता ने सिर्फ उनके नाम पर वोट दिया है तो उनकी यह भूल होगी। दिल्ली की जनता ने 'आप' को वोट दिया है और श्री केजरीवाल को नेता माना है।

 
'आप' की जीत में पार्टी के सभी नेताओं के साथ ज़मीन से जुड़े कार्यकर्ताओं की बड़ी भूमिका है। प्रशांत भूषण और योगेन्द्र यादव ने भी जीत में भूमिका निभाई है। श्री केजरीवाल के भाषणों से लगता है कि उन्हें सर्वशक्तिमान ईश्वर में गहरी आस्था है, इसलिये उन्हें चाहिये की बड़ी जीत के बाद भी ईमानदार रहें और किसी अन्य नेता के खिलाफ साजिश न करें। बड़ी जीत के कारण यह संभव है कि इन दो नेताओं को पार्टी से निकालने के बाद भी दिल्ली सरकार पर कोई असर न पड़े पर उन्हें यह ध्यान में रखना होगा ईश्वर छोटे बड़े सभी पापों पर नज़र रखता है और कभी भी सजा दे सकता है। ईश्वर की एक सजा यह भी हो सकती है कि 'आप' की इज़्ज़त 'तुम' जैसा कर दे।
 
विश्वसनीय साथी
जिस ढंग से श्री नरेन्द्र मोदी को बहुत पहले ही भरोसेमंद और विश्वसनीय साथी के रूप मे अमित शाह मिले थे उसी ढंग से श्री अरविन्द केजरीवाल को श्री मनीष सिसोदिया मिले हैं। प्रधानमंत्री मोदी ने अमित शाह को विश्वसनीयता के उपहार में भाजपा का पार्टी अध्यक्ष बनाया, उसी तरह मुख्यमंत्री केजरीवाल ने सिसोदिया को उप-मुख्यमंत्री बनाया। बिहार के मुख्यमंत्री श्री नीतीश कुमार विश्वसनीय साथी की तलाश में गच्चा खा गये और श्री जीतन राम माँझी बेवफा निकल गये।

Tuesday, February 17, 2015

प्री-पोल सर्वे पर रोक लगाएं (Pre poll survey should be banned)

सेवा में,
श्रीमान मुख्य चुनाव आयक्त,
चुनाव आयोग, नई दिल्ली, भारत
 
विषय : प्री-पोल सर्वे पर रोक लगाएं
 
महाशय,
 

  आजकल मीडिया समूह द्वारा एग्ज़िट पोल मतदान होने के बाद दिया जाता है। मेरी जानकारी मे यह पूर्व में मतदान के पहले ही प्रकाशित और प्रसारित किया जाता था। जब चुनाव आयोग ने इस पर प्रतिबंध लगाया तो मतदान के बाद प्रकाशित-प्रसारित किया जाने लगा। यह उचित भी है, इसलिये मैं एग्ज़िट पोल के इस रूप पर कोई शिकायत नहीं कर रहा।

 
मेरी शिकायत प्री-पोल सर्वे को लेकर है। यह पूर्व के एग्ज़िट पोल जैसा ही है जिस पर आपने प्रतिबंध लगाया था। मुझे लगता है कि यह प्री-पोल जनता की सोच को प्रभावित करता है। पिछले लोकसभा चुनाव और हाल के दिल्ली विधानसभा चुनाव के नतीजों पर गौर करें तो आपको मेरी शिकायत मे सच्चाई का आभास होगा।
 

पिछले लोकसभा चुनाव में प्री-पोल सर्वे भारतीय जनता पार्टी के पक्ष में थे। फिर नतीजे इसी पार्टी के पक्ष में आये और वोट प्रतिशत तथा सीटें अनुमान से ज्यादा बढ गईं। यही हाल दिल्ली के विधानसभा चुनाव में हुआ और प्री-पोल सर्वे का लाभ यहाँ आम आदमी पार्टी को मिला।

 
इसलिये आपसे गुजारिश है कि चुनाव की अधिसूचना जारी होने के बाद के हर तरह के प्री-पोल सर्वे पर प्रतिबंध जल्द से जल्द लगाएं।

To,

The Chief Election Commissioner,

Election Commission, New Delhi, India



Subject: Pre-Poll Survey should be banned


Sir,



  Now a days, Media Group publishes and broadcasts the Exit Poll after poll. In my knowledge, before few years, it was published and broadcasted before the poll. The EC banned the exit poll to  publish and broadcast before the poll then it started to publish and broadcast after the vote. It is appropriate, therefore I do not have any complaints on this form of exit polls.



My complaint is about the pre-poll survey. The former is similar to the exit polls which you banned. I think it affects people's mind before polling. The results of the Loksabha elections and to look at the recent assembly elections in Delhi, you will have realized the truth in my complaint.



The last pre-poll survey  were in favor of BJP. The results came back and vote in favor of the party and the seats were growing faster than anticipated. That happened in the recent assembly elections in Delhi also and AAM AADMI PARTY got benefited from pre-poll survey.



So you are kindly requested to ban on every kind of pre-poll survey after your notification of elections.

Sunday, January 11, 2015

आरक्षण खत्म करने का समय (Reservations should be end)

हाल ही मे BJP नेत्री और केंद्रीय अल्पसंख्यक विकास मंत्री नजमा हेपतुल्ला का बयान पढ़ा। उन्होंने कहा कि मुस्लिम समाज को किसी आरक्षण की जरूरत नहीं है। उसे इस काबिल बनाया जाए, जिससे कि उसे किसी तरह के आरक्षण की जरूरत ही नहीं हो। बयान तो स्वागत योग्य है लेकिन इतनी बढ़िया सोच सिर्फ मुसलमानों के लिए ही क्यों? यही सोच अनुसूचित जाति, अनुसूचित जनजाति और पिछ़डे वर्गों के लिए क्यों नहीं? क्या यह बेहतर नहीं होगा कि इन्हें भी आरक्षण न देकर मुसलमानों की तरह ही इनका ऐसा विकास किया जाए कि इन्हें आरक्षण की जरूरत ही न पड़े।
 
महाराष्ट्र की पिछली कांग्रेस सरकार ने मराठा और मुसलमान दोनों के लिए आरक्षण की घोषणा की थी, जिस पर मुम्बई हाइ कोर्ट ने स्थगन आदेश दे दिया। वहां नई बनी BJP सरकार इस स्थगन आदेश के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट गई, लेकिन सिर्फ मराठा आरक्षण के लिए। इस तरह के न्यायिक और साहसी कदम की BJP से ही उम्मीद की जा सकती है।
 
केन्द्र में BJP की पूर्ण बहुमत वाली सरकार है। अच्छा मौका है कि नजमा हेपतुल्ला की सोच को विस्तृत तौर पर लागू किया जाए और सारे आरक्षण खत्म कर दिए जाएं। इससे सभी लोगों को समान अवसर भी उपलब्ध होगा। फिर मुसलमानों दवारा आरक्षण की मांग भी खत्म हो जाएगी। सवर्ण लोगों द्वारा आरक्षण की आलोचना भी बंद हो जाएगी। वोट बैंक की राजनीति भी खत्म होगी।
 
न्याय करने का दूसरा तरीका है 100% आरक्षण लागू करने का। जातीय जनगणना के अनुसार सवर्ण सहित सभी देशवासियों को आरक्षण की सुविधा दी जाए। इससे भी सभी लोगों को समान अवसर प्राप्त होगा और साथ ही वोट बैंक की राजनीति भी खत्म होगी। जहाँ तक मेधा का सवाल है तो मेधा किसी जाति की बपौती तो नही। हर धर्म और हर जाति मे मेधावी लोग हैं।
 

Tuesday, January 6, 2015

PK के कुछ दृश्यों ने कबाड़ा किया (Some scenes of PK are really bad)

फिल्मों पर विवाद करना हमेशा से फिल्म वालों का लाभ पहुंचाना होता है। विवाद बढ़ने से फिल्म को मीडिया मे खूब जगह मिलती है जिससे फिल्म के दर्शकों की संख्या बढ़ती है। इससे फिल्म से जुड़े लोगों को आर्थिक लाभ के साथ शोहरत भी खूब मिलती है। अगर PK फिल्म पर ज्यादा विवाद नहीं होता तो फिल्म को उतने दर्शक नहीं मिलते जितने अभी मिल रहे हैं। फिल्म के हद से ज्यादा विवाद ने मेरी उत्सुकता और जिज्ञासा इतनी बढ़ा दी कि लगभग 6 सालों बाद मुझे एक और फिल्म देखनी पड़ी।

 
फिल्म में धार्मिक आडंबर और फर्ज़ी बाबाओं तथा धर्म के फर्ज़ी ठेकेदारों के साथ पुलिस के भ्रष्टाचार और ब्रेकिंग न्यूज़ के लिए मीडिया के गन्दे काम को भी इसमें प्रदर्शित किया गया है। साथ ही सही न्यूज़ चलाने पर मीडिया को अंधभक्तों के हमले का सामना करना समाज की असहिष्णुता को भी दिखाता है। झूठ की दुकान चलाने वालों की अगर पोल खोली जाएगी तो ऐसे दुकानदारों का भड़कना स्वाभाविक ही है। भारतीय जनता पार्टी के श्री लाल कृष्ण आडवाणी, श्री सुशील कुमार मोदी आदि द्वारा फिल्म को समर्थन दिए जाने से फिल्म के विरोधियों की जहां मिट्टी पलीत हुई वहीं उत्तर प्रदेश और बिहार सरकार द्वारा फिल्म को टैक्स फ्री किए जाने से आम जनता और फिल्म वाले दोनों का लाभ हुआ।
 
अच्छे उद्देश्यों के लिए बनाई गई बेहतरीन और परिवारिक फिल्म के कुछ दृश्यों ने इसे कमजोर किया है। सुशांत सिंह और अनुष्का शर्मा के बीच का स्मूचिंग दृश्य परिवार के साथ बैठ कर देख रहे लोगों को असहज करता है। इस दृश्य की फिल्म मे कोई आवश्यकता नहीं थी। फिर आमिर ख़ान द्वारा एक आदमी के पिछवाड़े मे उंगली करना फूहड़ता का परिचायक है। भगवान का स्टाम्प खोजते हुए एक नवजात बालक के गुप्तांगों पर फोकस का दृश्य भी परेशान करने वाला है। सेन्सर बोर्ड अगर ऐसे दृश्यों को भी नजरअंदाज करता है तो इसकी जरूरत ही क्या है?


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