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Saturday, December 27, 2014

RJD और JDU में गठबंधन हो तो बेहतर (Alliance is better than merger of RJD and JDU)

पिछले कुछ महीनों से बिहार की राजनीति मे राष्‍ट्रीय जनता दल और जनता दल युनाइटेड पार्टी के विलय की चर्चा जोरों पर है। यह संभावित विलय कब होगा, होगा भी या नहीं होगा, कुछ कहा नहीं जा सकता क्योंकि दोनो पार्टियों के नेता इस मुद्दे पर बात करने से कतराते दिख रहे हैं। पूर्व मुख्यमंत्री नीतीश कुमार तो एक बार इससे साफ इनकार कर चुके हैं। लेकिन इन दोनों पार्टियों के अन्य नेताओं के मार्फत मीडिया मे जो थोड़ी बहुत खबर आ रही है, उससे लगता है कि अंदर ही अंदर इसकी तैयारी चल रही है। जब तैयारी मुकम्मल हो जाएगी तो पूरी खबर भी बाहर आ जाएगी।
jdu party-symbol.gif 2000px-rjd_flag_svg.png
 
अगर यह विलय हुआ भी तो इसके टिकाऊ होने की संभावना बहुत कम है। इसका मुख्य कारण यह है कि दोनों पार्टियों के सुप्रीमो बिहार के मुख्यमंत्री के रूप मे कई वर्षों तक सत्ता सुख भोग चुके हैं और दोनों की महत्वाकांक्षाएं ज्यादा दिन साथ रहने पर टकराएंगी। मुख्य टकराव चुनाव के वक्त टिकट वितरण में होगा। आरजेडी के सुप्रीमो लालू यादव की कोशिश होगी कि उनके करीबी को ज्यादा टिकट मिले। फिर यही कोशिश जेडीयू के सुप्रिमो नीतीश कुमार की भी होगी। पार्टी पर पकड़ और वर्चस्व बनाए रखने के लिए भी दोनों नेताओं मे होड़ होगी और साथ ही सत्ता मिलने पर सत्ता मे हिस्सेदारी के लिए भी दोनों नेता लड़ सकते हैं।
 
दोनों पार्टियों के हित में यही है कि दोनों अलग-अलग रहकर ईमानदरीपूर्वक गठबंधन कर चुनाव लड़े। सीटों का आपसी सहमति से न्यायपूर्वक बंटवारा करें और चुनाव में एक-दूसरे को ईमानदारी से सहयोग करें। विलय की अपेक्षा दोनों पार्टियों का गठबंधन ज्यादा टिकाऊ होने की उम्मीद है क्योंकि इसमे आपसी टकराव की संभावना बहुत कम रहेगी और पार्टी के अंदर रहकर पार्टी को कमजोर करने वाले तत्व भी कमजोर रहेंगे। गठबंधन की स्थिति मे दोनों नेताओं का अपनी पार्टी पर पूर्ण नियंत्रण भी कायम रहेगा जिससे पार्टी को मजबूत रखने मे मदद मिलेगी।

Friday, December 19, 2014

रामजादे या हलालजादे (Ramjade or Halaljade?)

      यह तो सर्वविदित है कि हराम का विपरीतार्थक शब्द हलाल है. इसी ढंग से हरामजादे का विपरीतार्थक शब्द हलालजादे होगा. हरामजादे का विपरीतार्थक शब्द के लिये रामजादे शब्द का प्रयोग न बिल्कुल अनुचित है बल्कि हास्यास्पद भी है. हलाल और हराम शब्द हिन्दी के वैध और अवैध शब्द के लिये प्रयोग होते हैं जबकि राम हिन्दुओं के देवता हैं. इसलिये राम शब्द का प्रयोग सावधानी और सम्मान के साथ लिया जाना चाहिये. हलाल और हराम के बीच मे राम शब्द को घसीटना उनकी तौहीन है.


हरामजादे का विपरीतार्थक शब्द के लिये रामजादे शब्द का प्रयोग करनेवाली साध्वी की खिंचाई तो हुई लेकिन खिंचाई का कारण सिर्फ और सिर्फ हरामजादे शब्द का प्रयोग था. बेहतर तो यह होता कि उनकी ज्यादा खिंचाई पवित्र शब्द राम को विवाद मे घसीटने को लेकर होता.


हिन्दी मे राम-रहीम शब्द के प्रयोग का प्रचलन आया है. अर्थ मे रहीम के माने 'दयालु' और ईश्वर होता है. लेकिन प्रयोग मे राम हिन्दू के लिये तो रहीम मुस्लिम के लिये होता आया है. लेकिन साध्वी ने रामजादे के विपरीत मे रहीमजादे शब्द का प्रयोग नही किया तो उसकी दो वजहें हो सकती हैं. पहला तो यह कि रहीमजादे शब्द किसी के लिये गाली नही है. दूसरी वजह यह है कि साध्वी का टारगेट मुसलमान के साथ ही भाजपा और संघ विचारधारा के विरोधी हिन्दू भी थे चाहे वह कॉंग्रेसी हो, कम्यूनिस्ट हो, सपा वाले हों राजद वाले हों या 'आप' वाले.



अधिकांश भारतीय मुसलमानों के पूर्वज हिन्दू थे, यह कहना तो जायज़ है लेकिन भारतीय मुसलमानों सहित सभी भारतीय रामजादे या राम की सन्तान हैं, कहना सर्वथा अनुचित है. भारत मे राम के वक़्त ही राम के परिवार मे ही लक्षमन, भरत, शत्रुघ्न भी थे. राम की पूरी सेना थी. राम क्षत्रिय परिवार के थे. उस वक्त ब्राह्मण, वैश्य और शूद्र परिवार भी थे. सबकी संतानें रही होगीं. उस वक्त अंतरजातीय विवाह का प्रचलन भी नही था. आज भी भारत मे ऐसे हिन्दू परिवार मौज्द हैं जो अपना पूर्वज भैंसासुर, वाल्मीकि, कृष्ण और रविदास को बताते हैं और उनकी जयंती भी मनाते हैं. इसलिये सभी भारतीयों को रामजादे या राम की सन्तान कहकर पुकारना भी गलत है.





खैर, साध्वी अपने टारगेट को गाली देने मे कामयाब होने के साथ सजा से बचने मे भी कामयाब हुई है. अगर कोई नाकामयाब हुई है तो वह है भारत की जनता. रामजादे, हरामजादे, धर्मांतरण के मुद्दे ने जनता के असली मुद्दे काला धन, भ्रष्टाचार, बेरोजगारी आदि को गौण कर दिया है जिसके लिये जनता ने सत्ता परिवर्तन किया था.



Thursday, December 18, 2014

Masjid E Quba, Madinah, Saudi Arabia (1st Mosque in Madina)


Here is video of Masjid E Quba, Madinah, Saudi Arabia (1st Mosque in Madina), you can watch here.

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इंसान हो तुम या हो शैतान (Are you human being or Satan)

खुद को तुम क्यों विद्यार्थी कहते,

जब विद्यार्थी के खून की होली खेलते.
इंसान हो तुम या हो शैतान,
दो जवाब, ऐ तालिबान.
 
ज़ाहिल, गंवार हैं तुमसे अच्छे,
बच्चों को वे भी भगवान हैं कहते.
इंसान हो तुम या हो शैतान,
दो जवाब, ऐ तालिबान.
 
बेगुनाह का कत्ल तुम करते,
फिर क्यों खुद को मुस्लिम कहते.
इंसान हो तुम या हो शैतान,
दो जवाब, ऐ तालिबान.
 
बेशर्म, दरिंदे, ज़ालिम, हत्यारा,
तेरा अब कोई न सहारा.
इंसान हो तुम या हो शैतान,
दो जवाब, ऐ तालिबान.
 
शैतान भी तुमसे शरमाएगा,
जब तुम दोज़ख मे जायेगा.
इंसान हो तुम या हो शैतान,
दो जवाब, ऐ तालिबान.

- मोहम्मद खुर्शीद आलम 
 
 

Wednesday, December 17, 2014

दलितों के नायक जीतन राम मांझी (Jitan Ram Manjhi is hero for dalits)

लक बाइ चान्स यानी किस्मत से बने बिहार के मुख्यमंत्री श्री जीतन राम माँझी स्वयम् को दलितों के नायक के रूप में पेश करने मे कामयाब हुये हैं. मुख्यमंत्री की गद्दी सम्हालते वक्त हर कोई को यही लगा था कि ये पूर्व मुख्यमंत्री श्री नीतीश कुमार के रिमोट के रूप मे काम करेंगे. लेकिन लोगों की गलत धारणा को खत्म करने में इन्हें ज्यादा वक्त नही लगा. कुछ ही हफ्तों मे विपक्षी पार्टी भारतीय जनता पार्टी के लोगों ने भी मान लिया कि श्री माँझी 'हटकर' हैं और सारे फैसले खुद ले रहे हैं.

 

प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी ने चाय बेचा है या चायपत्ती (जो कि उद्योगपति टाटा ने भी बेचा है), संदिग्ध हो सकता है पर श्री जीतन राम माँझी द्वारा चूहा पकडना और चूहे के मांस के प्रयोग की बात असंदिग्ध है. बिहार मे महादलित में शुमार मुसहर जाति से आने वाले श्री जीतन राम माँझी द्वारा हाल फिलहाल मे दलितों और पिछड़ों के पक्ष मे दिया गया बयान और कार्य उन्हें दलितों के नायक के तौर पर पेश कर दिया है. यही कारण है कि अब भारतीय जनता पार्टी उन पर डाइरेक्ट हमले करने से बच रही है ताकि दलित वोट उनसे छिटक न जाये. भारतीय जनता पार्टी मुख्यमंत्री श्री जीतन राम माँझी के बजाये बिहार के पूर्व मुख्यमंत्रीश्री नीतीश कुमार पर हमले कर रही है.

 
श्री माँझी द्वारा दलितों और पिछड़ों के समर्थन मे दिये गये बयान की वजह से उनका विरोध पार्टी के अंदर से भी हुआ और मुख्यमंत्री की गद्दी जाने का खतरा भी पैदा हुआ. पर इसकी परवाह न करते हुये अपने बयानों पर कायम रखकर दलितों और पिछड़ों के बीच लोकप्रियता हासिल करने मे कामयाब हुये हैं. चाहे वे अब जितना दिन भी मुख्यमंत्री बने रहें पर बिहार सहित पूरे भारत में एक लोकप्रिय दलित नेता के रूप मे उन्होने जगह तो बना ही ली है. इसका श्रेय बिहार के पूर्व मुख्यमंत्री श्री नीतीश कुमार को भी जाता है जिन्होंने सत्ता लोभ को त्यागते हुये अपनी कुर्सी छोड़ी और एक निम्नवर्गीय परिवार से आनेवाले दलित को मुख्यमंत्री की जिम्मेदारी सौंपी.

Saturday, December 13, 2014

Inside and outside view of Masjide Nabwi, Madinah, Saudi Arabia


Ziarat e Masjide Nabwi, RasoolAllah (sallAllahu alaihi wasallam), Masjid Nabwi, Madinah Munawwarah on 13.12.2014

Inside and outside view of Masjide Nabwi, Madinah, Saudi Arabia


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Jannat ul Baqi, Madina,Part 2 video graphed on 10.05.2012

Friday, December 5, 2014

इस्लामिक म्यूचुयल फंड (Islamic Mutual Fund)

दिनांक 09.08.2009 के पहले मैं भी ज्यादातर मुसलमानों की तरह हर म्यूचुयल फंड को गैर-इस्लामिक समझता था. लेकिन ऐसा था नही. दिनांक 09.08.2009 के मुम्बई मिरर मे 'होली कॅश' के नाम से मनोज आर नायर का आलेख पढ़ा तो ग्यात हुआ कि भारत मे कुछ ऐसे म्यूचुयल फंड उपलब्ध हैं जो क़ी मुसलमानों की धार्मिक नीतियों के अनुसार निवेश करने की सुविधा देते हैं. इन म्यूचुयल फंड का निवेश उन्ही व्यवसाय मे होता है जो की इस्लामिक नीतियों के अनुसार हलाल यानी वैध व्यवसाय है.

मैने अपनी संतुष्टि और अधिक जानकारी के लिये आलेख मे उल्लेखित टॉरस म्यूचुयल फंड (TAURUS MUTUAL FUND) के सी. ई. ओ. श्री वकार नक़वी से संपर्क किया. उन्होने इस मामले मे मेरी मदद की और एक मुफ़्ती का सर्टिफिकेट भी उपलब्ध करवाया जो इनकी कंपनी को इस मामले मे मदद और देखरेख करते थे. साथ ही अपने स्टाफ श्री मोहम्मद आज़म ( mohammad.azam@taurusmutualfund.com ) 
https://www.facebook.com/azam.mohammad.589 ) (सहायक प्रबंधक) को मुझ तक भेजा. मैं उनके द्वारा उपलब्ध कराई गयी जानकारी से संतुष्ट हुआ और फिर निवेश किया.

आज की तारीख मे भारत मे टाटा म्यूचुयल फंड ने 'टाटा एथिकल फंड', टॉरस म्यूचुयल फंड ने टॉरस एथिकल फंड और गोल्ड्मन सच म्यूचुयल फंड ने गोल्ड्मन सच सी एन एक्स निफ्टी शरिया एक्सचेंज ट्रेडेड स्कीम' के नाम से ऐसे फंड उपलब्ध करवाये हुये हैं. पर जानकारी, जागरुकता और अविश्वास की वजह से बहुत ज्यादा निवेश नही हुये हैं.

यही कारण है कि भारत सरकार ने अपने उपक्रम स्टेट बैंक ऑफ इंडिया की ओर से भी ऐसा एक म्यूचुयल फंड जारी करने का निर्णय लिया है. यह 1 दिसंबर 2014 से जारी होने वाला था पर कुछ तकनीकी कारणों की वजह से जारी नही हो पाया. उम्मीद है कि अगले 1-2 हफ्तों मे यह जारी हो पाये.


इससे सम्बंधित मेरे पिछले ब्लॉग  
'हराम का खाना खाने से बचें' ( http://mka-mka.blogspot.com/2014/07/blog-post.html ) और 'मुसलमान बैंकों से मिलने वाले सूद का क्या करें?' 

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