यह बात तो सब जानते हैं कि इस्लाम में सूद का लेना-देना दोनों हराम हैं पर यह बात बहुत कम मुसलमानों को पता है कि भारतीय बैंकों से मिलने वाले सूद की इस्लाम में क्या स्थिति है। मैं कोई आलिम या मुफ़्ती या इस्लाम का विद्वान तो नही हूं पर इस सवाल का जवाब पाने की जिज्ञासा ने मेरा ऐसे लोगों से संपर्क करवाया। उन्हीं लोगों के उत्तर पर आधारित है मेरा यह ब्लॉग। फिर भी मैं इस विषय पर अपने नज़दीकी इस्लामिक विद्वानों से आपको संपर्क करने की राय देता हूं:
सूद का लेन-देन किसी व्यक्ति से हो या किसी संस्था से, सूद हर हाल मे हराम ही है। लेकिन भारतीय बैंकों से मिलने वाले सूद का मुसलमान करें तो क्या करें? इसका आलिमों ने जो हल निकाला है वह यह है:
1. जमा हुए सूद के पैसों को बैंक से निकाल लें।
2. इसे गरीब लोगों को जो ज़कात और फ़ितरा के हक़दार हैं, उन्हे दे दें।
3. इसे शहर या गांव या मोहल्ले की सडकों या नालियों जैसी कामन चीजों के निर्माण पर खर्च कर सकते हैं।
4. इस पैसे को देते हुये सवाब की नीयत ना करें क्योंकि यह हराम का पैसा है।
5. हराम काम से बचने का जो आप प्रयास करेंगे, उसका सवाब आपको जरूर मिलेगा।
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