एक से अधिक सीटों से चुनाव लड़ने की परम्परा अभी तक बंद नही हुई है. इस बार फिर मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री द्वारा दो सीटों से चुनाव लड़ने की घोषणा हुई.
इसके पहले भी कई नेता एक से अधिक चुनाव क्षेत्रों से चुनाव लड चुके हैं और कुछ नेता एक ही साथ दो सीटों से जीते हैं. बाद मे उन्हे एक सीट छोड़ना पड़ा और वहां दुबारा से चुनाव कराना पड़ा. नुकसान ज़ान, माल और वक्त तीनो का हुआ. जनता को दुबारा वोट करना पड़ा और जनता के ही पैसे दुबारा खर्च हुआ.
इसलिये जब तक चुनाव आयोग इस पर रोक नही लगाती तब तक स्वार्थी नेता अपनी सुविधा के लिये एक से अधिक क्षेत्रों से चुनाव लड़ते रहेंगे और इसका बोझ आम जनता पर पड़ता रहेगा.
उम्मीद है कि चुनाव आयोग जल्द से जल्द इस पर ध्यान देगी और लोकसभा विधानसभा सहित हर तरह के चुनाव मे एक से अधिक सीटों से चुनाव लड़ने पर रोक लगायेगी.
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