खुद को तुम क्यों विद्यार्थी कहते,
जब विद्यार्थी के खून की होली खेलते.इंसान हो तुम या हो शैतान,
दो जवाब, ऐ तालिबान.
ज़ाहिल, गंवार हैं तुमसे अच्छे,
बच्चों को वे भी भगवान हैं कहते.
इंसान हो तुम या हो शैतान,
दो जवाब, ऐ तालिबान.
बेगुनाह का कत्ल तुम करते,
फिर क्यों खुद को मुस्लिम कहते.
इंसान हो तुम या हो शैतान,
दो जवाब, ऐ तालिबान.
बेशर्म, दरिंदे, ज़ालिम, हत्यारा,
तेरा अब कोई न सहारा.
इंसान हो तुम या हो शैतान,
दो जवाब, ऐ तालिबान.
शैतान भी तुमसे शरमाएगा,
जब तुम दोज़ख मे जायेगा.
इंसान हो तुम या हो शैतान,
दो जवाब, ऐ तालिबान.
- मोहम्मद खुर्शीद आलम
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