आज कल शान्ति, सद्भाव और अमन, चैन, सुकून विरोधी ताकतें चाह रही हैं कि कैसे भी मोदी या भाजपा सरकार बन जाये. इस प्रयत्न मे न जाने कैसे कैसे जोड़-तोड किये जा रहे हैं. इसके लिये वर्षों के विरोधी खेमे के लोगों को साथ ले रहें तो अपनी ही पार्टी के बुज़ुर्ग और सम्मानीय नेताओं का अपमान कर रहे हैं. 'चायवाले' की इतनी और ऐसे चर्चा हो रही है जैसे प्रधानमंत्री बनने के लिये सबसे बड़ी योग्यता 'चायवाला' होना है.प्रधानमंत्री के उम्मीदवार नरेन्द्र मोदी भाषणों मे अपना स्तर इतना गिरा रहे हैं जिसे एक सभ्य और ईमानदार आदमी कभी भी सोच भी नही सकता और न ही स्वीकार करेगा. वे बार बार खुद को चायवाला और दलित तो बोल ही रहे हैं,एक भाषन मे तो यहाँ तक बोल दिया कि उनकी मां दूसरे के घरों मे घरेलू कार्य करती थी. क्या यह प्रधानमंत्री बनने के लिये योग्यता है?
मीडया और पूंजीपतियों का बहुत बड़ा तबका देश के सबसे बड़े खलनायक के महिमामंडन मे लगा हुवा है. आम भारतीय जनता जो कि शान्तिप्रिय है, इंसाफ का पक्षधर है, को इनसे सतर्क रहने की जरूरत है.देश हित मे यह जरूरी है कि ऐसी अहितकारी ताकतों को सत्ता मे आने से रोका जाय. क्योंकि तीसरा मोर्चा आज कमजोर है, इसलिये ऐसी विघटनकारी ताकतों को रोकने के लिये कांग्रेस और इसके सहयोगी दलों के समर्थन की महति आवश्यकता है. अगर किसी सीट पर कांग्रेस या इसके सहयोगी दल मुकाबले मे नही है तो वहां वामपंथी या तीसरे मोर्चे या अच्छे निर्दलीय उम्मीदवारों को समर्थन दिया जा सकता है.
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