कुछ वर्षों पहले तक निष्पक्ष रहने वाली इलेक्ट्रॉनिक मीडिया आज कल क्यों बेईमान हो गयी है, समझ मे नही आता. इन्हे तो सिर्फ सच्ची खबर देना चाहिये पर आजकल भाजपा और मोदी का महिमामंडन कर खुद को बेईमान साबित कर रही हैं. हद तो तब महसूस किया हूँ जब अर्नब गोस्वामी और रजत शर्मा को इनके पक्ष मे बोलते देखा.
अभी अभी अर्नब गोस्वामी का डिबेट सुना. अर्नब राहुल गाँधी द्वारा नरेन्द्र मोदी के शादी के मुद्दे को उठाने को पर्सनल अटॅक बता रहे हैं. जब एक प्रधानमंत्री का उम्मीदवार देश को झूठी सूचना दे रहे हैं, देश को गुमराह कर रहे हैं तो क्या इस मुद्दे को उठाना पर्सनल अटॅक है?
अर्नब को तो भाजपा वालों से प्रधानमंत्री का उम्मीदवार बदलने के लिये कहना चाहिये था क्योंकि उनके उम्मीदवार का बड़ा झूठ देश के सामने उजागर हो चुका था. इसके बजाये झूठ का साथ देना अर्नब की छवि खराब करता है. विनोद मेहता ने सत्य का पक्ष लेकर यह जताया कि आज भी सच्चे लोगों की संख्या कम नही है.
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