मोहल्ले के धोबी जी की दुकान पर जाकर खड़ा ही हुआ कि उसने मेरे कपड़े पकड़ा दिए। मैंने पूछा कि भाई, आपको कैसे मालूम कि मेरे कौन से कपड़े हैं। उसने जवाब दिया कि आप को इन कपड़ों मे इस गली से कभी गुजरते देखा था। मैंने सोचा कि शायद इसे ही ब्यूजीनिस स्कील कहते हैं क्योंकि उसके पास कपड़े देने मैं नहीं गया था।
- मोहम्मद खुर्शीद आलम
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