किसान का आलस्य और पासी का खांसना
(Kisaan ka aalasy aur Paasi ka khaansana)
असकत पूत किसाने नासि।
पासि नासि ढांसि।
अर्थात अगर किसान का पुत्र आलस्य करेगा तो उसका नुकसान होगा यानी उसका फसल मारा जाएगा और अगर ताड़ के पेड़ पर चढ़ने वाले पासी को खांसी उठ जाए तो उसका नुकसान होगा यानी पेड़ पर से गिर सकता है। यह कहावत या छंद बचपन मे मेरे वालिद साहब बराबर कहा करते थे। मैं आज भी इसको याद करके अपना आलस्य भगाता हूँ।
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