प्रतियोगी परीक्षाओं का खर्च सरकार उठाये (Government Should Bear Expenses of Competitive Examination)
केंद्र सरकार की रिक्तियां हों या राज्य सरकार की या शैक्षणिक संस्थानों में दाखिले के लिए विद्यार्थियों का चयन , अधिकांश मामलों में प्रतियोगिता परीक्षा का आयोजन होता है. इसके लिए आवेदकों से परीक्षा शुल्क के नाम पर अच्छी खासी राशि ली जाती है. कुछ परीक्षाओं में SC, ST और दिव्यांग आवेदकों से या तो यह राशि नहीं ली जाती या अन्य आवेदकों के मुकाबले कम ली जाती है. बहुत ही कम ऐसी परीक्षाएं होती हैं जिनमे परीक्षा शुल्क नहीं लिया जाता है.
इन आवेदकों में अधिकांश या तो बेरोजगार होते हैं या फिर विद्यार्थी. बहुत ही कम आवेदक ऐसे होते हैं जो पहले से नौकरी कर रहे हों और बेहतर नौकरी या बेहतर पढाई के लिए आवेदन किये हों.
केंद्र सरकार या राज्य सरकार गरीबों, मजदूरों, किसानों, पिछड़े, दलितों, अल्पसंख्यकों आदि लोगों के लिए भिन्न भिन्न योजनाओं के जरिये मदद पहुंचाती है या सबसिडी देती है. अगर बेरोजगारों और विद्यार्थियों के कल्याण की नियत से उपरोक्त परीक्षा शुल्क को केंद्र सरकार या राज्य सरकार या उनके नियोक्ता विभाग वहन करे तो सरकारों पर कोई पहाड़ टूट नहीं पड़ेगा.
मेरे विचार से बेरोजगारों और विद्यार्थियों के भलाई के लिए सम्बंधित सरकारों को यह जिम्मेदारी उठानी चाहिए क्योंकि ये लोग या तो अपने माता पिता पर आश्रित होते हैं या फिर किसी अभिभावक पर. बेरोजगारी के डंक से पीड़ित इन लोगों को बार बार परीक्षा शुल्क के डंक से निजात दिलाना ही चाहिए.
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